Prageet Aur Samaj Notes | Bseb Class 12 Hindi प्रगीत और समाज

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Bihar Board Class 12th Hindi Chapter 9 Prageet Aur samaj – प्रगीत और समाज Subjective

पाठ – 9 : Pragati Aur Samaj Notes in Hindiशीर्षक : प्रगीत और समाज
जन्म : नामवर सिंह
निवास स्थान : उत्तरप्रदेश
माता-पिता : वागेश्वरी देवी , नागर सिंह

1. प्रगति को आप किस प्रकार परिभाषित करेंगे इसके बारे में क्या धारणा प्रचलित रही है ?

उत्तर – प्रगति या लोरिक कवी की एक ऐसी विद्या है ! जिसमें कभी की व्यक्तित्व और आत्मा दोनों की प्रबल भावना रहती है ! ऐसी कविताएं संक्षिप्त होती है ! जीवन के विभिन्न पक्षों का उद्घाटन जहां प्रबंध काव्य में किया जाता है ! वहां प्रगति में छन विशेष की आत्मा प्रकट की भावना अभिव्यक्ति संभव होती है ! प्रगति धार्मिक कविताएं छोटी होती है ! इसमें जीवन की अनेक प्रवृतियां का चित्रण संभव नहीं है ! इसके बारे में ऐसी धारणा प्रचलित रही है ! कि इसकी अर्थ भूमि अत्यंत ही सिमित है ! एवं एकांकी जिसमें जीवन के प्रत्येक घटनाओं अनुभूतियों की अभिव्यक्ति संभव नहीं है |

2. आचार्य रामचंद्र शुक्ल के काव्य आदर्श क्या थे पाठ के आधार पर स्पष्ट करें ?

उत्तर – आचार्य रामचंद्र शुक्ल के काव्य सिद्धांत के आदेश प्रबंध काव्य थे प्रबंध काव्य में मानव जीवन का पूर्ण दृश्य होता है ! उसमें घटनाओं की संबंध श्रृंखला स्वाभाविक कर्म से ठीक-ठीक निरहुआ के दृश्य को स्पर्श करने वाले उसे भाव का अनुभव कराने वाले प्रसंग होते हैं ! यही नहीं प्रबंध काव्य में राष्ट्रीय प्रेम जातियां भावना धर्म प्रेम आदर्श जीवन की प्रेरणा देना ही उसका उद्देश्य होता है |

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3. हिंदी कविता के इतिहास में प्रगीतो का क्या स्थान ‘है’ उदाहरण स्पष्ट करें ?
‘अथवा’
Q. नामवर सिंह किन कविताओं को श्रेष्ठ मानते हैं ?

उत्तर – प्रगति वे कविताएं हैं ! जिन्हें अक्सर माना जाता है ! कि यह कविताएं सीधे सामाजिक ना होकर अपनी व्यतिकता और आत्म प्रगति काव्य की कोटि में आ जाती है ! प्रगति धार्मिक कविताए न तो समाजिक अभिव्यक्ति के लिए पर्याप्त समझी जाती है ! उसने उसकी अपेक्षा की जाती है ! क्योकि समान्य समझकर नितांत अनुभूतियो की अभिव्यक्ति मात्र है ! त्रिलोचन नए वर्णान्त्म्क कविताओ के बवजूद ज्रात्र गीत ही लिखे है ! कहने के लिए तो यह एक प्रगति है ! लेकिन जीवन जगत और प्रकृति के जितने रंग बिरंगे चित्र त्रिलोचन के काव्य संसार में मिलते है ! वह अन्यर्थ दुर्लभ है ! प्रगीतो के नित कथन अधिक शक्तिशाली होती है ! अतः प्रगति का इतिहास समकालीन कवियों का इतिहास कह सकते है |

4. प्रगति और समाज शीर्षक निबंध का सरांश अपने शब्दों में लिखे ?

उत्तर – प्रस्तुत निबंध नामवर सिंह द्वारा लिखित आलोचनातमक निबंधो की पुस्तक वाद विवाद संवाद से लिया गया है ! इस निबंध में हजारो वर्षो से फैली हिंदी काव्य परम्परा पर इतिहास अन्तः दृष्टि के साथ विचार करते हुए ! प्रगति नामक काव्य रूप की निरंत्रनता हिंदी समाज की प्रकृति और भाव प्रवाह के अन के रूप परिभाषित किया है ! वह इतिहास और परपरा की पहचान करती हुई समाजिक समास्याओ और तथ्यों की इतिहासिक समाजिक तथा घरे से पहचान कराती है ! वह वर्तमान को अधिक घरे के साथ जाने समझने की अंतर दृष्टि जगाती है vयह सब इस निबंध से लिखा जा सकता है |

आधुनिक हिंदी प्रगति और मुक्त के मिश्रण से नए भाव भूमि पर जो गीत लिखे जाते है ! पिछले कुछ वर्षो में हिंदी कविता के वातावरण में कुछ परिवर्तन के लक्षण दिखाई पड़ रहे है ! एक नए स्तर पर कवि व्यक्ति अपने और समाज के बिच के रिश्तो को साधने की कोशिश कर रहा है ! इस प्रक्रिया में जो व्यक्तित्व बनता दिखाई दे रहा है ! वह निश्चय ही एक नए दंग की प्रगति के उभार संकेत है |

Class 12th Hindi 100 Marks Subjective Notes गद्य खण्ड
पाठ – 1बातचीत 
पाठ – 2उसने कहाँ था 
पाठ – 3सम्पूर्ण क्रांति 
पाठ – 4अर्धनारीश्वर 
पाठ – 5रोज 
पाठ – 6एक लेख और एक पत्र 
पाठ – 7ओ सदानीरा 
पाठ – 8सिपाही की माँ 
पाठ – 9प्रगीत और समाज 
  पाठ – 10जूठन 
  पाठ – 11हँसते हुए मेरा अकेलापन 
  पाठ – 12तिरिछ 
  पाठ – 13शिक्षा
Class 12th Hindi Subjective Notes पद्य खण्ड
पाठ – 1कड़बक 
पाठ – 2सूरदास के पद 
पाठ – 3तुलसीदास के पद 
पाठ – 4छप्पय

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