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Bihar Board Class 12th Hindi Chapter 4 Ardhnarishwar – अर्धनारीश्वर Subjective
पाठ – 4 :
शीर्षक : अर्धनारीश्वर
लेखक : रामधारी सिंह दिनकर
जन्म : 23 सितम्बर 1904मुत्यु : 24 अप्रैल 1974निवास स्थान : सिमरिया बेगुसराय
1. बुद्ध ने आनंद से क्या कहा ?
उत्तर –बुद्ध ने आनंद से कहा मैंने जो धर्म चलाया था वह 5000 वर्ष तक चलने वाला था ! किंतु अब वह 500 वर्ष चलेगा क्योंकि नारियों को बोध भिक्षुणी होने का अधिकार दे दिया गया |
2. नारी की पराधीनता कब से प्रारंभ हुई ?
उत्तर –जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया तो नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा ! यहां से जिंदगी दो टुकड़ों में बट गई घर का जीवन सीमित और बाहर का जीवनी निसीमित हो गया एवं छोटी जिंदगी बड़ी जिंदगी के अधीन होती चली गई ! कृषि के विकास के साथ ही नारी की पराधीनता आरंभ हो गई |
3. स्त्रीयोचित गुण क्या है ?
उत्तर –दया माया सहनशीलता एवं ममता यह सब स्त्रीयोचित गुण कहे जाते हैं –
4. पुरुष जब नारी का गुण लेता ‘है’ तो वह क्या बन जाता है ?
उत्तर –पुरुष जब नारी का गुण अपना लेता है ! तो उसकी मर्यादा हिन् नहीं होती बल्कि उसके पूर्णता की विधि ही होती है ! पुरुष और नारी की कोमलता दाया सरलता जैसे गुण अपने में ले लेता है ! तो उसके जीवन में पूर्णता का बोध होता है |
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5. अर्धनारीश्वर की कल्पना क्यों की गई है ?
उत्तर –अर्धनारीश्वर शंकर और पार्वती की कल्पित रूप है ! आधा अंग स्त्री तथा आधा अंग पुरुष का है ! एक ही मूर्ति में दो आंखें है ! मई दूसरी विकराल एक ही मूर्ति के दो भुजाएं है 〉 एक त्रिधुल उठाए और दूसरी की हाथो में चुदिया एवं एक ही मूर्ति के दो पांव है ! एक जड़ीदार साडी से ढका हुआ और दूसरा बागाम्बर से ढका हुआ ! यह कल्पना निश्चित ही शिव एवं शक्ति के बिच समन्यव दिखने के लिए की गई होगी |
6. यदि संधि कीबात कुन्ति और गांधारी के बीच हुई होती तो शायद बहुत संभव था कि महाभारत न मचता लेखक के इस कथन की से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर –लेखक नारी के गुण की चर्चा करते हुए कहते हैं ! कि स्त्री दयामया और करुना का प्रतीक है ! इस गुण के कारण नारी विनम्र और दयावान होती है ! नारी किसी भी हालत में किसी की हत्या के बारे में नहीं सोचती है ! और ना ही उसमें क्रोध की भावना जगती है ! इसी गुण के कारण कहा गया है ! कि संधि अगर दुर्योधन और कृष्ण के बीच ना होकर गांधारी और कुंती के बीच होता तो यह महाभारत ना होता पुरुष में क्रोध का गुण होता है ! जिसमें संपूर्ण के बदले की भावना होती है ! और स्त्री में संपूर्ण की भावना होती है ! दुर्योधन के धर्म के कारण ही महाभारत हुआ |
7. प्रवृति मार्ग और निमृति मार्ग क्या है ?
उत्तर – पुरुषों की मान्यता है ! कि नारी आनंद का खान है ! जो पुरुष जीवन से आनंद चाहते थे ! उन्होंने नारी को गले लगाया वे प्रवृत्ति मार्ग है ! अर्थात जिस मार्ग के द्वारा नारी की पद मर्यादा उठती है ! उसे प्रवृत्ति मार्ग कहते हैं ! निमृति मार्ग वे हैं ! जिन्होंने अपने जीवन के साथ नारी को भी धकेल दिया है ! और सन्यास ग्रहण किया वैसे मार्ग को निमृति मार्ग कहते हैं |
8. स्त्री को अहेरिन नागिन और जादूगरनी कहने के पीछे क्या मानसा होती है ?
उत्तर –स्त्री को अहेरिन नागिन और जादूगरनी कहने के पीछे उनकी मानसा अवहेलना करना है ! इसकी इलाज इसलिए पुरुष करता है ! क्योंकि उनसे अपनी दुर्बलता नहीं देखें जाते और जादूगर के गुण नारी में कम और पुरुष में ज्यादा होते हैं ! शिकार करना तो मुख्य रूप से पुरुष का ही स्वभाव है ! और कोई स्त्री को इस तरह से नीचे उपाधियों से विभूषित करना उचित नहीं है |
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9. रामधारी सिंह दिनकर लेखक का संक्षिप्त परिचय दें ?
उत्तर –राष्ट्रकवि दिनकर जी का जन्म 23 सितंबर 1908 को सिमरिया जिला बेगूसराय में हुआ था ! उन्होंने B.A तक पटना विश्वविद्यालय से पढ़ाई सीतामढ़ी में सब रजिस्टर्ड के पद पर कार्य किए ! 1952 से 1964 तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे 1964 से 1965 भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर नियुक्त हुए 1965 से 1971 तक भारत सरकार के हिंदी सलाहकार रहे ! इनकी 50 कृतियां प्रकाशित हुई उनमे प्रमुख रूप से रशिम रथी उर्वशी अर्धनारीश्वर इत्यादि है ! संस्कृत के चार अध्याय पर साहित्य अकादमी एवं उर्वशी पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किए गए इन्हें राष्ट्र कवि से भी नवाजा गया |
10. अर्धनारीश्वर शीर्षक का सारांश अपने शब्दों में लिखें ?
उत्तर –रामधारी सिंह दिनकर जी अर्धनारीश्वर निबंध के माध्यम से यह मत लाना चाहते हैं ! कि नर नारी पूर्ण रूप से समान है ! एवं उनमें एक के गुण दूसरे के दोष नहीं हो सकते अर्थात नरो में नारियों के गुण आ जाए तो इससे उनकी मर्यादा हीन नहीं होती है ! दिनकर का यह रूप कहीं देखने को नहीं मिलता इसलिए भी दुखी है ! उनका मानना है ! कि संसार में सभी जगह पुरुष और स्त्री है ! वह कहते हैं ! कि नारी समझती है ! कि पुरुष के गुण सीखने से उसके नारीत्व में बाटा लगेगा इसी प्रकार पुरुष समझते हैं – कि स्त्री के गुण अपना कर वह स्त्री जैसा हो जाएंगे |
इस विभाजन से दिनकर दुखी है ! यही नहीं भारतीय समाज को जानने वाले 3 बड़े चिंतकों रविंद्र नाथ टैगोर प्रेमचंद्र प्रसाद के चिंतन से भी दुखी है ! दिनकर मानते हैं ! कि यदि ईश्वर ने आपस में धूप और चांदनी का बंटवारा नहीं किया है ! तो हम कौन होते हैं ! आपसी गुण को बांटने वाले नारी की पराधीनता के बारे में दिनकर जी बताते हैं ! की पुरुष ने अपना वर्चस्व जमाने के लिए नारी को गुलाम कर लिया जब से खेती शुरू हुई ! तब से पुरुष बाहर तथा नारी को अंदर रखने लगी पुरुष ने नारी को आगे विलास और आनंद की वस्तु समझकर उपयोग करने लगा कभी शीर्षक से बताते हैं ! कि नर और नारी एक समान वे दोनों एक सिक्के का पहलू है ! जब तक वे दोनों अलग रहेंगे तब तक वे दोनों अधूरे हैं ! इसलिए यह दोनों को एक साथ रह कर काम करना चाहिए |
Bihar Board Class 12th Hindi All Chapter Solution
Class 12th Hindi 100 Marks Subjective Notes गद्य खण्ड | |
पाठ – 1 | बातचीत |
पाठ – 2 | उसने कहाँ था |
पाठ – 3 | सम्पूर्ण क्रांति |
पाठ – 4 | अर्धनारीश्वर |
पाठ – 5 | रोज |
पाठ – 6 | एक लेख और एक पत्र |
पाठ – 7 | ओ सदानीरा |
पाठ – 8 | सिपाही की माँ |
पाठ – 9 | प्रगीत और समाज |
पाठ – 10 | जूठन |
पाठ – 11 | हँसते हुए मेरा अकेलापन |
पाठ – 12 | तिरिछ |
पाठ – 13 | शिक्षा |
Class 12th Hindi Subjective Notes पद्य खण्ड | |
पाठ – 1 | कड़बक |
पाठ – 2 | सूरदास के पद |
पाठ – 3 | तुलसीदास के पद |
पाठ – 4 | छप्पय |