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Bihar Board Class 10th Hindi Swadeshi – स्वदेशी Subjective
पाठ – 4 : स्वदेशी
लेखक – बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन
जन्म – 1855 उतर प्रदेश के मिर्जापुर
मुत्यु – 1922 में
कवी परिचय
- कवी प्रेमघन का 1855 ई. को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में हुआ था |
- प्रेमघन भारतेंदु युग के महत्वपूर्ण कवी थे |
- प्रेमघन का पूरा नाम – बद्रीनारायण चौधरी था |
- प्रेमघन का निधन 1922 को उत्तर प्रदेश में हुआ था |
- प्रेमघन भारतेंदु हरिचन्द्र को अपना आदर्श मानते थे |
- उन्होंने 1874 ई. में उन्होंने मिर्जापुर में आरक्षित समाज की स्थापना की |
- उन्होंने आनंद कादम्बिनी मासिक पत्रिका तथा नागरी नीरद नामक साप्ताहिक पत्र का सम्पादन किया |
- प्रेमघन की रचनाओं का संग्रह – प्रेमघन स्वरस है |
- प्रेमघन प्रसिद्ध नाटक भारत सौभाग्य , प्रयाग रामाग्मन है |
- प्रेमघन ने काव्य रचना अधिकांशतः व्रजभाषा और अवधि में की है |
पाठ के साथ
1. कवी को भारत में भारतीयता क्यों नहीं दिखाई पड़ती है ?
उत्तर – कवी प्रेमघन जी को भारत में भारतीयता नहीं दिखाई पड़ती है | क्योकि भारत के लोगो का स्वभाव लगाव और उनके रहन – सहन विदेशी हो गए है | वे अधिकतर विदेशी वस्तुओ का उपयोग कर रहे है |
2. कवी समाज के किस वर्ग की आलोचना करता है और क्यों ?
उत्तर – प्रेमघन समाज के हिन्दू वर्ग की आलोचना करते हुए कहते है | की कुछ लोग हिन्दू होकर भी हिंदी भाषा नहीं बोल पाते है | वे अंग्रेजी भाषा बोलते है | और अंग्रेजी वस्तुओ का ही उपयोग करते है |
3. नेताओं के बारे में कवी की क्या राय है ?
उत्तर – कवी प्रेमघन नेताओं पर व्यंग्य करते हुए कहते है | की जिन नेताओं से उनकी ढीली ढाली धोती नहीं संभलती है | वे देश का प्रबंध कैसे करेंगे |
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4. कवी ने डफली किसे कहा और क्यों ?
उत्तर – कवी प्रेमघन वैसे लोगो को डफली कहा जो लोगो की झूठी प्रशंसा करके चाप्सुली करते है |
5. स्वदेशी कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर – प्रस्तुत कविता में कवि प्रेमघन जी अपने देश के प्रति प्रेम की भावना या स्वदेश प्रेम तथा स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग और रहन-सहन अपनाने का विचार दिए है ! अपने देश के गौरव गरिमा को ऊंचा बढ़ाने का भी कवि ने संदेश दिया है |
6. कवि नगर बाजार और अर्थव्यवस्था पर क्या टिप्पणी करता है ?
उत्तर – नगर बाजार संबंध में कवि का कहना है ! कि अंग्रेजी शासन काल के कारण भारतीय उद्योग नष्ट हो गए ! तथा स्वदेशी निर्माता वस्तुओं का उपयोग बंद हो गया ! क्योंकि मशीन निर्माता वस्तुओं की अपेक्षा हस्त निर्माता वस्तुओ महंगी है ! फलतः बाजार गांव नगर में विदेशी वस्तुएं बिकती हुई नजर आती है ! और हमारे अपने देश के लोग अपने उपभोग के लिए उन वस्तुओं को खरीदने में मोटी रकम अदा करते है ! और अपने देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर बनाते जा रहे है |
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7. व्याख्या करें
क. मनुज भारती देखि कोउ, सकत नहीं पहिचान।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी पाठ के स्वदेशी शीर्षक से लिया गया है ! जिसके लेखक बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन जी है ! वह इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है ! कि जो भारतीयो की पहली पहचान थी ! तथा रहन था ! वह सब पराधीनता के कारण नष्ट हो गई है ! आज भारत में हिंदू मुस्लिम ईसाई की पहचान नष्ट हो गई है ! लोग अपने आदर्श चरित्र कथा मानवतावादी विचार को त्याग करके अपनी पहचान खो दिए है |
ख. अंग्रेजी रूचि, गृह, सकल वस्तु देस विपरीत।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के काव्यखंड के शीर्षक स्वदेशी से लिया गया है ! जिसके लेखक बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन जी है ! वह इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है ! कि लोग अपनी महान शक्ति को छोड़कर विदेशी घर तथा वस्तु अपना लिए है ! कवि को इस बात पर दुख होता है ! कि जिस देश का ज्ञान गरिमा तथा संस्कृति के महानता का गुणवान वेदों ने किया है ! उस देश के लोग अपनी संस्कृति को भूलाकर विदेशी संस्कृति को अपना लिए है |