Bseb Class 10 Hindi अति सूधो स्नेह को मार्ग है

ati sudho saneh ko marag hai question answer, अति सूधो सनेह को मारग question answer, अति सूधो सनेह को मारग है की व्याख्या, Bihar Board Class 10 Hindi अति सूधो सनेह को मारग है,

Bihar Board Class 10th Hindi Ati Sudho Saneh Ko Marag Hai – अति सूधो स्नेह को मार्ग है प्रश्न उत्तर 

पाठ – 3 : अति सूधो स्नेह को मार्ग है |
लेखक – घनानंद
शीर्षक – अति सूधो स्नेह को मारग है
जन्म – 1689 में
मुत्यु – 1739 में नादिरशाह के सैनिको द्वारा मारे गए

कवी परिचय
  • अति सूधो स्नेह को मार्ग है पाठ के कवी घनानंद जी है | इनका जन्म 1689 ई. में हुआ था |
  • घनानंद रितियुगिन , रीतिमुक्त एवं मधुर भाषा के कवी थे |
  • उनकी हत्या नादिरशाह के सैनिको ने की थी |
  • कवि घनानंद की प्रमुख रचनाएँ – सुजान सागर , बिरहलीला, रसकेली बल्ली आदि |
  • ये छंद उनकी रचनावली घनआनंद से लिया गया है |
  • घनानंद प्रेम की पीर के कवी है |
  • घनानंदण की भाषा परिकृष्ट और शुद्ध ब्रजभाषा है |

! अर्थ स्पष्ट करे !

1. अति सूधो स्नेह को मारग है” जहां देहु छटाक नही !

उत्तर – कवि घनानंद जी इस दोहे में कहते है !कि प्रेम का मार्ग अति सीधा व सुगम होता है !इसमे किसी भी प्रकार का छल कपट नही चलता है ! इस मार्ग पर वही व्यक्ति चल सकता है ! जिसका हृदय निर्मल और पवित्र होता है ! कवि घनानंद जी कहते है ! कि प्यारी सुजान सुनो हम लोगों में एक दूसरे को आंका नही है ! तुमने कौन ऐसा पाठ पढ़ा है ! कि जिससे तुम्हारा मन भर गया उसको सदा के लिए छोड़ दिया है ! सूजन मेरे ऊपर कृपा करो और मेरी बातो पर विश्वास करो |

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Facebook Group Join Now

2. पर का जाहि देह को लै बरसौ !

उत्तर – इस दोहे में कवि घनानंद जी कहते है ! कि दूसरे के उपचार के लिए शरीर धारण करके बादल के सामान घुमा करो और दर्शन दो समुद्र के जल को अमृत के समान बना दो तथा सभी प्रकार से अपनी सज्जनता का परिचय दो कवि घनानंद जी का अनुरोध है ! कि उनकी ही देह पीड़ा का अनुभव करते हुए उनके जीवन में प्रेम स्नेह का रस भर दो ! ताकि वह कभी अपनी प्रेमिका सुजान के आंगन में उपस्थित होकर अपनी प्रेम आंसू की वर्षा कर सकूं |

अति सूधो सनेह को मारग objective questions

पाठ के साथ 

1. कवी प्रेम मार्ग को अति सूधो क्यों कहता है’’ इस मार्ग की विशेषता क्या है ?

उत्तर – कवी घनानंद ने प्रेम मार्ग को अति सूधो अर्थात अत्यंत सरल कहा है | क्योकि इस मार्ग में कोई चतुराई नहीं चलती है | इस मार्ग की विशेषता यह है की इस मार्ग पर बिना झुके और बिना छल कपट के चलना होता है |

2. मन लहू पे देहु छटांक नहीं से कवी का क्या अभिप्राय है ?

उत्तर – यह पंक्ति घनानंद द्वारा रचित काव्य अति सूधो स्नेह को मार्ग है से लिया गया है | इस पंक्ति के माध्यम से कवी हमें ऐसे झूठे प्रेम करने वाले लोगो के बारे में बताते है | जो लेते तो मन भर है परन्तु देते छटाक भर भी नहीं यानी थोड़ा सा भी नहीं |

3. द्वितीय छंद किससे संबोधित है” और क्यों ?

उत्तर – द्वितीय छंद में मेघ के माध्यम से कवि ने वेदना भरे अपने ही ह्रदय की पीड़ा को व्यक्त किया है ! कवि घनानंद अपनी प्रेमिका सुजान का प्रेम पाने के लिए व्याकुल है ! कवी सुजान से बहुत ज्यादा प्रेम करते है !और इस को पाने के लिए मेघ के माध्यम से अपनी हार्दिक विशेषता प्रकट करते है !और कहते है ! कि हे मेघ आप तो दूसरे की भलाई के लिए बादल रूपी शरीर धारण करके संपूर्ण संसार में बरस कर उसे जीवन प्रदान करते है ! इसलिए हे मेघ मेरी वेदनाओं को समझो और मेरी प्रेमिका सुजान की आंगन मे मेरी ही आंसू को पहुंचाने का काम करो |

4. परहित के लिए ही देह कौन धारण करता है’’ स्पष्ट कीजिये ?

उत्तर – कवी घनानंद के अनुसार बादल परहित के लिए देह धारण करता है | और सब के ऊपर समान बरसता है |

5. कवी कहाँ अपने आंसुओ को पहुंचाना चाहता है’’ और क्यों ?

उत्तर – कवी घनानंद अपने आंसुओ को सुजान के आँगन तक पहुंचाना चाहते है | क्योकि कवी सुजान की विरह वेदना में रो रहे है |

ati sudho saneh ko marag hai class 10th hindi bihar board

6. व्याख्या करें

क. यहाँ एक ते दूसरौ ऑक नहीं !

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक हिंदी पाठ्य के काव्यखंड के शीर्षक से लिया गया है !जिसके लेखक घनानंद जी है !वह इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है ! कि प्रेमिका सुजान यहां पर एक और दूसरे का भेदभाव नहीं होता है ! प्रेम की मार्ग पर चलने वाले दो प्रेमी हृदय से एक होते है ! उसको अलग संबोधित करने के लिए कोई अनेक नाम नहीं होता है ! अतः कवि घनानंद जी इस पंक्ति के माध्यम से अपनी प्रेमिका सुजान को प्रेम के एक का स्वभाव के संबंध में समझाने का हार्दिक प्रयास किए है |

ख. कछु मेरियो पीर हिएं परसौ !

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के काव्यखंड के शीर्षक से लिया गया है ! जिसके लेखक घनानंद जी है ! लेखक इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है ! कि प्रेमिका सुजान सुनो जिस प्रकार बादल अपनी अमृत जल की वर्षा कर सबको जीवन देती है ! उसी प्रकार से घनानंद भी तुम्हे आनंद देने वाला है ! इसीलिए तुम मेरी ह्रदय की प्रेम पिया को समझो और मेरे ह्रदय को प्रेम से स्पर्श कर लो ! ताकि मेरा प्रेम जीवन सफल हो जाए |

Leave a Comment