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Bihar Board Class 10th History Chapter 4 Bharat Me Rashtravad – भारत में राष्ट्रवाद Subjective
पाठ- 4 : भारत में राष्ट्रवाद
प्रश्न 1.
खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ ?
उत्तर – प्रथम विश्व युद्ध समाप्ति के बाद मित्र राष्ट्र द्वारा तुर्की के खिलाफा का पद को समाप्त किया गया ! जो पुरे विश्व के मुस्लिम धर्म के धर्म गुरु कहे जाते थे ! उनका पद समाप्त करने के पश्चात भारत में अंग्रेजो के विरुद्ध एक आंदोलन प्रारंभ हुआ ! जिसे खिलाफत आंदोलन कहते हैं |
भारत में राष्ट्रवाद इन हिंदी [प्रश्न 2.]
दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर – दांडी यात्रा का उद्देश्य विदेशी वस्तुओं का पुनः बहिष्कार करना था ! जिस क्रम में सबसे पहले नमक तड़ी कानून अपनाया गया तथा सभी वर्गों के लोगों ने विदेशी वस्तुओं का त्याग किया |
प्रश्न 3.
चंपारण सत्याग्रह का संछिप्त विवरण दें ?
उत्तर – कांग्रेस ने 1916 के लखनऊ अधिवेशन चंपारण के कृषक नेता राजकुमार शुक्ल की भेंट गांधी जी से हुई ! वहीं राजकुमार शुक्ल ने गांधी जी को चंपारण के किसानों की दुर्दशा को विस्तार से समझाए ! चंपारण आने का निमंत्रण दिया जिसको स्वीकार करते हुए ! 1917 में गांधी जी चंपारण पहुंचे किसानों के साथ मिलकर एक आंदोलन चलाए जिसे चंपारण सत्याग्रह कहा जाता है |
भारत में राष्ट्रवाद नोट्स class 10 प्रश्न 4.
मेरठ षड्यंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं के द्वारा स्वतंत्रता के उद्देश्य से 1924 में मेरठ के अंदर सरकारी शास्त्र कारों को लूटा गया ! ! इसके विरोध में अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों पर देशद्रोही का मुकदमा चलाया ! जो मेरठ षडयंत्र के नाम से जाना जाता है |
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प्रश्न 5.
सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या परिणाम हुए ?
उत्तर – सविनय अवज्ञा आंदोलन का परिणाम मिलाजुला रहा है ! और यह देश का पहला आंदोलन था ! जिसमें पुरुषों के साथ स्त्रियों ने भी भाग लिया ! और मजदूर किसान अंग्रेजो के विरूद्ध संगठित हुए समाज में ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध में असहयोग की भावना जगी तथा अंग्रेज आर्थिक रूप से कमजोर हुए |
प्रश्न 6.
बिहार के किसान आंदोलन पर एक टिप्पणी लिखिए ?
उत्तर – बिहार के किसान आंदोलन का नेतृत्व सबसे पहले 1922 से 1923 में शाह महमूद जुबेर के द्वारा किया गया ! 1923 में स्वामी सहजानंद सरस्वती के द्वारा विधिवत रूप से बिहार टावर सोनपुर में किसान सभा की स्थापना की गई ! इस के बढ़ते प्रभाव के कारण ही 11 अप्रैल 1936 को लखनऊ में अखिल भारतीय किसान सभा का गठन हुआ |
भारत में राष्ट्रवाद class 10th pdf प्रश्न 7.
स्वराज पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना कीजिए ?
उत्तर – स्वराज पार्टी की स्थापना 1923 में चितरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरू के प्रयास से किया गया स्वराज पार्टी का उद्देश्य कांग्रेस से अलग नहीं था ! फिर भी स्वराज की प्राप्ति के लिए दोनों नेता सरकारी नियमों का अंत चाहते थे ! भारतीयों का शासन भारतीयों के हाथ में लाने का प्रयास कर रहे थे |
प्रश्न 8.
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में वामपंथियों की क्या भूमिका थी | रेखांकित करें ?
उत्तर – भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में वामपंथी कम्युनिस्ट पार्टी की भूमिका कोई बहुत महत्व नहीं रखती थी ! और 1925 में सत्य भगत के द्वारा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की गई जिसका उद्देश्य स्वराज प्राप्ति ही था ! किंतु प्रारूप में ही वामपंथी कार्यकर्ताओं के आक्रमण कार्यक्रमों के बदौलत ब्रिटिश सरकार आतंकवादी पार्टी घोषित कर दी !
तथा लाहौर के मेरठ के देश द्रोही मुकदमा चलाए गए फालतू वामपंथी कार्यकर्ताओं एवं दल कुछ दिनों के लिए राजनीति के क्षेत्र से अलग हो गए ! इसलिए भारतीय राजनीति और राष्ट्रीय आंदोलन की समीक्षा में पाया जाता है ! कि वामपंथियों का उद्देश्य राष्ट्रीय हित में ही था ! किंतु प्रारंभिक आक्रमक कर्ता ने उन्हें भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन से दूर कर दिया |
भारत में राष्ट्रवाद question answer प्रश्न 9.
रोलेट एक्ट से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – रोलेट एक्ट ब्रिटिश सरकार के द्वारा भारतीयों के आंदोलन एवं क्रांति को कुचलने वाला एक नियम था ! जिसमें शंका के आधार पर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का नियम बनाया गया था ! साथ-साथ न्यायालय में मुकदमा चलाए जाने का प्रावधान किया गया था |
प्रश्न 10.
गांधी इरविन एक्ट अथवा दिल्ली समझौता क्या है ?
उत्तर – गांधी इरविन एक्ट दिल्ली समझौता सविनय अवज्ञा आंदोलन की सफलता का प्रतिफल था ! जिसके कारण लार्ड इरविन महात्मा गांधी ने स्वयं समझौता के लिए तैयार हुए ! दोनों नेताओं के बीच समझौता का परिणाम स्वरूप 1921 सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थापित कर दिया गया |
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प्रश्न 11.
असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था | कैसे ?
उत्तर – असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन इसलिए समझा जाता है ! कि पहली बार देश के प्रत्येक वर्ग के लोगों ने भाग लिया पहली बार देश के कोने-कोने में अंग्रेजो के विरुद्ध धरना व प्रदर्शन हुए देशवासियों में राष्ट्र की प्रेम की भावना दिखाई थी ! इसलिए इस आंदोलन को प्रथम जन आंदोलन करते हैं |
भारत में राष्ट्रवाद क्लास 10th प्रश्न उत्तर – प्रश्न 12.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई ?
उत्तर – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना देश के छोटे-छोटे संगठनों को संगठित करने तथा देशवासियों को एक सूत्र में बांधने के उद्देश्य से हुआ ! 28 दिसंबर 1885 में सोमवार के दिन तेजपाल गोकुलदास संस्कृत उच्च विद्यालय मुंबई में कांग्रेस की न्यू पीड़ी जिसके प्रथम अध्यक्ष उमेश चंद्र बनर्जी को बनाया गया |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न डेढ़ सौ शब्दों में उत्तर दें
प्रश्न 13.
प्रथम विश्व युद्ध का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के साथ अंतर संबंधों की विवेचना करें ?
उत्तर – प्रथम विश्व युद्ध का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के साथ गहरा संबंध जुड़ा है ऐसा माना भी जाता है ! कि प्रथम विश्व युद्ध नहीं हुआ होता तो शायद भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को प्रारंभ होने में कुछ विलंब हो सकती थी ! प्रथम विश्वयुद्ध प्रारंभ होते ही अंग्रेजो के द्वारा भारतीय नेताओं को विश्वास दिलाया गया ! कि यदि भारतीय सेना युद्ध में अंग्रेजों का साथ दे दे ! तो प्रथम विश्व युद्ध समाप्ति के तुरंत बाद भारत को स्वतंत्र कर देंगे अंग्रेजों के बातों में विश्वास करते हुए !
भारतीय नेताओं ने सेनाओं को इंग्लैंड की तरफ से भाग लेने का आदेश दे दिया युद्ध समाप्ति के बाद भारतीयों के द्वारा अंग्रेजों से स्वतंत्रता की मांग की गई ! तो अंग्रेज अपने वादे से मुकर गए भारतीयों के बीच पहली बार ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आक्रोष बढा जो राष्ट्रवाद के उदय तथा राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में सामने आया |
प्रश्न 14.
असहयोग आंदोलन के कारण एवं परिणामों का वर्णन करें ?
उत्तर – असहयोग आंदोलन भारत का पहला राष्ट्रीय आंदोलन था जिसका प्रारंभ 1921 में महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में हुआ ! इस आंदोलन के तीन प्रमुख कारण थे जो इस प्रकार से है –
क. खिलाफत आंदोलन :- खिलाफत आंदोलन का प्रारंभ महात्मा गांधी भारतीय मुसलमानों को साथ मिलकर तुर्की में खिलाफा पद बहाल करने के लिए आंदोलन चलाए ! जिसका अंग्रेजों के ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा |
ख. जालियांवाला बाग हत्याकांड : – 13 अप्रैल 1919 को अंग्रेजों ने जो कर्तव्य जालियावाला बाग में दिखाई ! उसका परिणाम ही असहयोग आंदोलन था |
ग. स्वराज की प्राप्ति :-
असहयोग आंदोलन प्रारंभ करने का एक प्रमुख कारण भारत में अंग्रेजी शासन के बदले स्वतंत्रता पाना था ! ! असहयोग आंदोलन के परिणाम के रूप में देखा जाता है ! कि चौड़ा – चौड़ी घटना के बाद गांधी जी ने उसे स्सेथगित कर दिए ! लेकिन यही आंदोलन जन जन का आंदोलन का रूप ले लाया प्रथम बार देशवासियों में स्वतंत्रता की ललक तथा राष्ट्र प्रेम भावना दिखाई दी थी |
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प्रश्न 15.
सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणों की विवेचना करें ?
उत्तर – सविनय अवज्ञ आंदोलन के प्रमुख कारणों की विवेचना इस प्रकार से है –
क. साइमन कमीशन :-
1919 में तय किया गया था कि प्रत्येक 10 वर्ष का भारत और इंग्लैंड के प्रतिनिधि मिलकर भारतीय समस्याओं का अवलोकन करेंगे ! ! किंतु अंग्रेज इनका उल्लंघन करते हुए स्वयं 1928 में भारत पहुंचे ! जिसके कारण सविनय अवज्ञ आंदोलन चलाना पड़ा |
ख. नेहरू रिपोर्ट :-
लार्ड विरकन हैड के द्वारा भारतीयों के सामने सविधान बनाने की चुनौती प्रस्तुत की गई ! जिससे मोतीलाल नेहरू ने स्वीकार किया किंतु अंग्रेज स्वीकार नहीं कर सके ! जो आंदोलन का एक कारण बना |
ग. विश्वव्यापी आर्थिक मंदी :-
1929 और 1930 की आर्थिक मंदी से बचने के लिए अंग्रेजों ने भारतीय उद्योगपति एवं पूंजी पतियों को निशाना बनाया जिसका परिणाम आंदोलन रहा |
घ. समाजवाद का प्रभाव :-
1917 के रूसी क्रांति तथा कार्ल मार्क्स के सिद्धांतों ने भारतीय नेताओं को एक नई राह दिखाई ! जो कि आंदोलन का रास्ता तैयार किया |
ङ. पूर्ण स्वराज की मांग :-
31 दिसंबर 1929 के मध्य रात्रि में नेहरू रावी नदी के तट पर तिरंगा फहराते हुए पूर्ण स्वराज की मांग की जिसे अंग्रेज और स्वीकार कीजिए ! जो आंदोलन का एक कारण बना |
प्रश्न 16.
भारत में मजदूर आंदोलन के विकास का वर्णन करें ?
उत्तर – यूरोप में औद्योगिक क्रांति तथा कार्ल मार्क्स के विचारों का भारतीय मजदूरों को सकारात्मक प्रभाव बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में देखने को मिला ! 1917 में अहमदाबाद के अंदर जॉब प्लेग की बीमारी फैली तो मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए मालिकों द्वारा वेतन वृद्धि की गई परंतु बीमारी समाप्त होते ही वेतन वृद्घि वापस ले लिया गया ! उसी समय रूस मेले के नेतृत्व में सर्वहारा वर्ग का आंदोलन चल रहा था !
जिससे से प्रभावित होकर अंग्रेजों के विरुद्ध भारत में भी मजदूरों को एक संगठन 31 दिसंबर 1920 को बना ! जिसे ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन का नाम दिया गया मजदूरों का यह संगठन आंदोलन के रूप में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रभावित करने लगा किंतु अंग्रेजों के गुरु नीति प्रयासों के बदौलत 1934 में विभाजित हुआ ! फिर भी मजदूर आंदोलन भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को प्रभावित करता रहा |
प्रश्न 17.
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में गांधीजी के योगदान की चर्चा करें ?
उत्तर – भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी के योगदान इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जा चुका है ! 1919 से 1947 का युग महात्मा गांधी युग समझा जाता है ! जालियांवाला बाग हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी जी पूर्ण रूप से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर अपने हाथों में ले लिए सबसे पहले भारत का भ्रमण करते हुए ! देश के वास्तविक स्थिति को पहले समझा अवधेश 1921 में जॉन आंदोलन के रूप में असहयोग आंदोलन को प्रारंभ करने के पूर्व चंपारण सत्याग्रह खेड़ा सत्याग्रह को सफल बना चुके थे !
उनका असहयोग आंदोलन सफल तो नहीं हो सका इसलिए 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन भी प्रारंभ किए ! महात्मा गांधी का सबसे काला रूप 1942 में मुंबई अधिवेशन में देखा गया जहां भारतीयों के नाम करो या मरो का संदेश दिया गया था ! भारत छोड़ो के रूप में देखा जाता है ! और अतः गांधी जी का प्रयास रंग लाई दिया 15 अगस्त 1947 को भारत पूर्ण स्वतंत्रत हुआ |
प्रश्न 18.
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी सर्वाधिक लोकप्रिय किए हुए इनके राजनीतिक कार्यक्रमों पर संक्षिप्त चर्चा करें ?
उत्तर – भारत में स्वतंत्रता संघर्ष में जितना योगदान महात्मा जी का है ! संभव तो उतना किसी और भारतीय का नहीं है ! 1919 से 1947 तक इस प्रकार छाए रहे ! कि बहुत से इतिहासकारों ने इस काल को गांधी युग नाम दे दिया |
क. महात्मा गांधी जी भाग लेते हुए उन्होंने अन्य नेताओं का मार्गदर्शन भी किया |
ख. अपने स्वतंत्रता प्राप्ति करने के लिए कोई शक्ति संघर्ष या क्रांति नहीं की ! बल्कि और सहयोग सत्याग्रह बहिष्कार स्वदेशी आंदोलन आदि शांतिपूर्ण हथियारों का प्रयोग किया |
ग. अपने हिंदू मुस्लिम एकता को बनाए रखने के लिए बहुत परिवर्तन कीजिए ! ताकि अंग्रेजों द्वारा अपनाई गई फूट डालो और राज करो की संप्रदायिकता पूर्ण नीति सफल ना हो सके ! और इन्हीं सभी कारणों के कारण भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी अधिक लोकप्रिय हुए |
प्रश्न 19.
अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कैसे हुई इसके प्रारंभिक उद्देश्य क्या थे ?
उत्तर – 19 वी शताब्दी के अंतिम चरण में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से ही भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को नई दिशा एवं गति मिली हालांकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के पूर्व क्षेत्रीय स्तर पर भारत में कोई संगठन स्थापित हो चुके थे ! लेकिन अखिल भारतीय स्तर पर कोई राजनीतिक संगठन नहीं था ! जो भारतीय राष्ट्रवादी यों के लिए मार्ग प्रशस्त का काम कर सके ! लॉर्ड लिटन द्वारा बनाए गए प्रेस अधिनियम और शस्त्र अधिनियम का भारतीयों द्वारा जबरदस्त विरोध किया गया ! जिसके कारण सरकार को प्रेस अधिनियम वापस लेना पड़ा था !
वादियों को लगने लगा कि संगठित होकर विरोध करना ज्यादा कारगा होगा ! लार्ड रिपन के काल में हुए ईस्ट बिल विवाद का यूरोपीय संघ से प्राप्त विजय ने भारतीयों का राष्ट्रवादी यों को संगठित होने पर प्राप्त करना दे दिया ! 1883 के दिसंबर में इंडिया एसोसिएशन के सचिव आनंद मोहन बोस ने कोलकाता में नेशनल कॉन्फ्रेंस नामों के अखिल भारतीय संगठन का सम्मेलन बुलाया जिसका उद्देश्य बिखरे राष्ट्रवादी यों को एकजुट करना था दूसरी तरफ एक रिटायर ब्रिटिश अधिकारी एलएन अभियान हमने इस दिशा में प्रयास करते हुए ! 1884 में भारतीय राष्ट्रीय संघ की स्थापना की इसी संगठन का नाम बदलकर 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कर दिया गया |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रारंभिक उद्देश्य निम्नलिखित थे जो इस प्रकार से है –
क. भारत के विभिन्न काम में जुड़े लोगों के संगठन के बीच एकता की अस्थापना का प्रयास करना
ख. देशवासियों के बीच मित्रता व सद्भावना का संबंध स्थापित कर धर्म वंश जाति विद्रेस को समाप्त करना |
ग. राष्ट्रीय एकता के विकास एवं सुंदरी बीकॉम के लिए हर संभव प्रयास करना |
घ. प्रार्थना पत्र तथा स्मार पत्र द्वारा वायसराय एवं उनकी कौन सी से सुधारो हेतु प्रयास करना |
प्रश्न 20.
राष्ट्रवाद के उदय के कारणों एवं परिणामों को लिखें ?
उत्तर – राष्ट्रवाद के उदय एवं विकास के की विवेचना निम्नलिखित इस प्रकार से की जा सकती है –
क. सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन :- 19 वी शताब्दी के धार्मिक एवं सामाजिक सुधार आंदोलनों ने राष्ट्रवाद उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की ब्रह्म समाज आर्य समाज रामकृष्ण मिशन में तथा थियोसोफिकल सोसायटी जैसी संस्थाओं ने हिंदू धर्म में प्रचलित बुराइयों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया ! अंधविश्वास धार में कुर्तियों तथा सामाजिक रूप अर्थ आए छुआछूत बाल विवाह दहेज प्रथा एवं बालिका हत्या जैसी समस्याओं के समाधान के लिए जनमत तैयार करने में इस संस्था ने सराहनीय कार्य किए |
ख. आर्थिक शोषण :- भारत में अंग्रेजों ने आर्थिक नीतियों को अपनाही इसके परिणाम स्वरूप आर्थिक राष्ट्रवाद का उदय हुआ ! ब्रिटिश आर्थिक नीति के तहत भारत में भू स्वराज में अत्यधिक वृद्धि हुई ! इस व्यवस्था का विरोध एक तरफ किसान ने किया तो दूसरी तरफ पुराने जमींदारों ने भी किया ! क्योंकि स्थाई बंदोबस्त में सूर्य अस्त कानून के कारण पुराने जमीदार द्वारा एक नियत समय प्रभु स्वराज जमा नहीं करने पर उनकी जमीदारी नीलाम कर दी जाती थी |
ग. तत्कालिक कारण :-
लार्ड लिटन का प्रतिक्रियावादी सासंद राष्ट्रवाद का तात्कालिक कारण बना ! जैसे लीटर ने 1876 में सिविल सेवा परीक्षा की अधिकतम आयु सीमा 21 वर्ष से घटाकर 19 वर्ष कर दी ! इससे भारतीयों के लिए इस नौकरी के दरवाजे लगभग बंद हो गए ! 1877 में भारत में भयंकर अकाल पड़ा था ! अकाल में लोगों को बचाने के लिए खींची ने दिल्ली दरबार का आयोजन किया गया ! जिसमें ब्रिटिश यू को कैंसर ए हिंद की उपाधि दी ! 1878 में लिटल ने वर्नाकुलर प्रेस एक्ट पारित पारित कर भारतीय भाषी समाचार पत्रों पर प्रतिबंध लगा दिया इस एक्ट द्वारा अंग्रेजी समाचार पत्रों पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया |
Class 10th History Subjective Notes – इतिहास | |
पाठ – 1 | यूरोप में राष्ट्रवाद |
पाठ – 2 | समाजवाद एवं साम्यवाद |
पाठ – 3 | हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन |
पाठ – 4 | भारत में राष्ट्रवाद |
पाठ – 5 | अर्थव्यवस्था और आजीविका |
पाठ – 6 | शहरीकरण एवं शहरी जीवन |
पाठ – 7 | व्यापार और भूमंडलीकरण |
पाठ – 8 | प्रेस-संस्कृति एवं राष्ट्रवाद |
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