Tatvo ka avart vargikaran | Bseb Class 10 Science तत्वों का वर्गीकरण

Tatvo ka avart vargikaran | Bseb Class 10 Science तत्वों का वर्गीकरण, तत्वों का आवर्त वर्गीकरण pdf, तत्वों का आवर्त वर्गीकरण प्रश्न उत्तर pdf, tatvo ka avart vargikaran notes pdf class 10, तत्वों का आवर्त वर्गीकरण ncert, अध्याय 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण, तत्वों का वर्गीकरण objective question, Tatvo ka avart vargikaran class 10th, class 10th science तत्वों का आवर्त वर्गीकरण, tatvo ka aarvt vargikran class 10th science notes bihar board, class 10th science question answer in Hindi tatvon ka avarti vargikaran

Bihar Board Class 10th Science Chapter 5 Tatvo ka avart vargikaran – तत्वों का आर्वत वर्गीकरण Subjective

पाठ – 5 : तत्वों का आर्वत वर्गीकरण

1. तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों होती है ?

उत्तर – अधिक तत्व होने के कारण उनके गुणों में किसी प्रकार की कठिनाई उत्पन्न न हो तथा उनके गुणों का अध्ययन करने में सरलता मिले | इसी कारण तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता होती है |

2. तत्वों के वर्गीकरण से होने वाले लाभों की विवेचना करे ?

उत्तर – तत्वों के वर्गीकरण से होने वाले लाभ निम्नांकित है –
. इसमें तत्वों के गुणों का अध्ययन नियमित तरीके से किया जा सकता है |
. सभी तत्वों के गुणों का अध्ययन अलग – अलग करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है |
. किसी समूह के तत्वों के गुणों में होने वाले क्रमिक परिवर्तन को समझाना आसान हो जाता है |
. इसमें विभिन्न समूहों के तत्वों के पारस्परिक संबध की जानकारी प्राप्त की जा सकती है |

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Facebook Group Join Now

3. डोब्रेनर की त्रियक नियम को लिखे ?

उत्तर – 19 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में जर्मन वैज्ञानिक डोबरेनर ने रासायनिक दृष्टि से तत्वों को तीन – तीन समूहों में वर्गीकृत किया तथा उन्होंने एक त्रियक नियम का प्रतिपादन किया जो इस प्रकार से है –
त्रियक के तत्वों को उनके परमाणु द्र्व्यमानो के कर्म में सजाने पर मध्यवर्ती तत्व का परमाणु द्रव्यमान किनारे वाले शेष दोनों तत्वों के द्र्व्यमानो का औसत होता है |

Bseb Class 10 Science तत्वों का आर्वत वर्गीकरण

4. न्युलैड्स का अष्टक नियम क्या है ?

उत्तर – 1865 – 66 में अंग्रेज रासायनज्ञ जॉन न्युलैड्स ने अपने समय तक आविष्कार किए गए तत्वों को उनके परमाणु द्र्व्यमानो के कर्म में सजाकर एक नियम का प्रतिपादन किया | जिसे न्युलैड्स का शतक नियम कहते है | जो इस प्रकार है –
यदि तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्र्व्यमानो के कर्म में सजाया जाए तो किसी भी तत्व से प्रारम्भ करने पर आठवे तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान होते है | जैसे की संगीत की आठवाँ स्वर पहले स्वर के समान होता है |

5. न्युलैड्स के अष्टक नियम के सिद्धांत की सीमाओं का उल्लेख करे ?

उत्तर – न्युलैड्स के अष्टक नियम के सिद्धांत की सीमाएं निम्नलिखित है,, जो सी प्रकार से है –
क. यह सिद्धांत केवल कैल्सियम तक ही लागू हो सका इसके बाद प्रत्येक आठवे तत्व का गुण पहले तत्व से नहीं मिलता है |
ख. यह केवल हल्के तत्वों के लिए ही ठीक से लागू हो पाया है |
ग. यह अधिक परमाणु द्रव्यमान वाले तत्वों पर लागु नहीं हो सका है |
घ. निष्क्रिय गैसों का आविष्कार हो जाने पर आठवे तत्व के बदले नवम तत्व प्रथम तत्व के समान गुण वाले होने लगा |

6. मेंडलीव के आर्वत नियम क्या है’’ तथा मेंडलीव ने अपनी आर्वत सारणी तैयार करने के लिए कौन सा मानदंड अपनाया था ?

उत्तर – तत्वों गुण धर्म उनके परमाणु द्र्व्यमानो के आर्वत फलन होते है | यह नियम मेंडलीव का आर्वत नियम कहलाता है | 1869 ई. में मेंडलीव ने तत्वों को उनके गुण धरम परमाणु द्रव्यमान के आधार पर व्यवस्थित किया |
मेंडलीव ने अपनी आर्वत सारणी तैयार करने के लिए निम्नलिखित मापदंड अपनाया –
. तत्वों के परमाणु द्रव्यमान के बह्दते हुए क्रम में सजाया |
. समान्य गुण धर्म वाले तत्वों को एक समूह में रखने का प्रयास किया |
. तत्वों के हाइड्रोईडो एवं आक्साईडो के अणु सूत्रों को मुलभुत गुण धर्म मान कर तत्वों का वर्गीकरण किया |

7. मेंडलीव की आर्वत सारणी की प्रमुख विशेषताएँ एवं गुणों को लिखे ?

उत्तर – मेंडलीव के आर्वत सारणी के प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है –
. तत्वों के सामान्य अध्ययन में सुविधा
. नए तत्वों के विषय में भविष्यवाणी अर्थात नए तत्वों के आविष्कार में सुविधा
. तत्वों के यौगिको की प्रकृति की जानकारी
. अनुसंधान कार्य में सहायता |

8. मेंडलीव की आर्वत सारणी की सीमाएँ को लिखे ?

उत्तर – मेंडलीव की आर्वत सारणी में निम्नलिखित ठोस है –

क. हाइड्रोजन का स्थान :- हाइड्रोजन का इलेक्ट्रोनिक विन्यास क्षार धातुओ के समान ही होती है | यह विधुत धनात्मक तत्व है | तथा इसका संयोजकता 1 होती है | लेकिन मेंडलीव की आर्वत सारणी में इस हाइड्रोजन तत्व का कोई स्थान निश्चित नहीं रखा गया है |

ख. समस्थानिको के लिए स्थान उपलब्ध नहीं :- मेंडलीव की आर्वत सारणी के काफी समय बाद समस्थानिको की खोज हुई | समस्थानिको के परमाणु द्रव्यमान भिन्न – भिन्न होते है | लेकिन इनका रासायनिक गुण समान होते है | अतः समस्थानिको को मेंडलीव की आर्वत सारणी में लग – अलग नहीं दिए गए थे |

ग. समान गुण वाले तत्वों को अलग – अलग समूहों में रखा जाना :- मेंडलीव की आर्वत सारणी में कुछ समान गुण वाले तत्वों को अलग – अलग समूह में रख दिया गया | जबकि इन्हें एक ही समूह में रखा जाना चाहिए |

घ. दो तत्वों के बिच नए तत्व की खोज में कठिनाई :- एक तत्व से दुसरे तत्व की ओर बढने पर परमाणु द्रव्यमान नियमित रूप से नहीं बढ़ते है | दो तत्वों के बिच परमाणु द्रव्यमान में कही एक का अंतर है | तो कही दो का | इस प्रकार तत्वों के बिच नए तत्व की खोज में कठिनाई उत्पन्न होती है |

tatvo ka aarvt vargikaran question answer pdf

9. आधुनिक आर्वत नियम क्या है’’ आधुनिक आर्वत नियम सारणी की उपलब्धियाँ को लिखे ?

उत्तर – सन 1913 ई. में ब्रिटिश वैज्ञानिक हेनरी मोसले ने आधुनिक आर्वत नियम का प्रति पादन किया | जो इस प्रकार से है –

क. तत्वों के गुण धर्म उनकी परमाणु संख्या का आर्वत फलन होते है | अर्थात यदि तत्वों को उनकी परमाणु संख्या के बढ़ते हुए क्रम में सजाया जाए | तो एक निश्चित अंतराल के बाद समान गुण वाले तत्व प्राप्त होते है |

आधुनिक आर्वत सारणी के निम्नांकित उपलब्धियां है –
. आधुनिक आर्वत सारणी परमाणु संख्या पर आधारित है |
. हाइड्रोजन को निश्चित स्थान प्रदान किया गया है |
. प्रत्येक तत्व की स्थिति उसके इलेक्ट्रान विन्यास के क्रम में है |
. अज्ञात तत्वों के लिए आर्वत सात में रिक्त स्थान छोड़ा गया है | जिससे बहुत से तत्वों की खोज हुई |

10. मेंडलीव की आर्वत सारणी और आधुनिक आर्वत सारणी में अंतर स्पष्ट करे ?

उत्तर – मेंडलीव की आर्वत सारणी और आधुनिक आर्वत सारणी में निम्नांकित अंतर है –

मेंडलीव की आर्वत सारणी
1. यह तत्व के परमाणु द्रव्यमान पर आधारित है |
2. इसमें कई दोस है |
3. यह आर्वत सारणी का छोटा रूप है |
4. इसमें अक्रिय गैस का कोई स्थान नहीं है |

आधुनिक आर्वत सारणी
1. यह तत्व के परमणु संख्या पर आधारित है |
2. आधुनिक के आर्वत सारणी के लगभग सभी दोस दूर हो गए है |
3. यह आर्वत सारणी का दीर्ध रूप है |
4. इसमें अक्रिय गैस की 18 वे समूह में रखा गया है |

11. क्षार धातुएँ और हाइड्रोजन में अंतर स्पष्ट करे ?

उत्तर – क्षार धातुएँ और हाइड्रोजन में निम्नलिखित अंतर है,, जो इस प्रकार से है –

क्षार धातुएँ
1. यह धातुएँ विधुत धनात्मक होती है |
2. यह अवकारक होती है |
3. यह हैलाइड बनाती है |
4. यह आक्साइड बनाता है |

हाइड्रोजन
1. यह सभी विधुत धनात्मक होता है |
2. यह भी अवकारक होती है |
3. हाइड्रोजन hi, hcl, hbr प्रकार के हैलाइड बनाता है |
4. हाइड्रोजन भी h2o बनाता है |

12. आपके अनुसार उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में क्यों रखा गया है ?

उत्तर – उत्कृष्ट गैस की खोज मेंडलीव की आर्वत सारणी बनाने के बाद हुई और ये गैसे क्रियाशील नहीं होती है | इसलिए उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में रखा गया है |

bihar board class 10th science tatvo ka vargikaran notes ncert solution

13. आधुनिक आर्वत सारणी द्वारा किस प्रकार से मेंडलीव की आर्वत सारणी की विधिध विसंगतियों को दूर किया गया है ?

उत्तर – आधुनिक आर्वत सारणी द्वारा मेंडलीव की आर्वत सारणी की विविध विसंगतियों की निम्नांकित प्रकार से दूर किया गाय है –

. हाइड्रोजन विधुत धनात्मक तत्व है | और इनका गुण क्षार धातुओ के गुण से अधिक मिलता है | अतः आधुनिक आर्वत सारणी में हाइड्रोजन को प्रथम आर्वत एवं प्रथम समूह में रखा गया है |

. तत्वों को परमाणु संख्या के बढ़ते हुए क्रम में सजाया गया | जिससे तत्व के समस्थानिको को तत्व के साथ उसी स्थान पर आर्वत सारणी में रखा गया | क्योकि एक तत्व के सभी समस्थानिको की परमाणु संख्या समान होती है |

. अक्रिय गैसों को 18 वे समूह में अलग रखा गया है |

14. आयन्न ऊर्जा से आप क्या समझते है ?

उत्तर – किसी गैसीय परमाणु में सबसे कमजोर बल से अब्धे इलेक्ट्रान को निष्काषित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा आयनन ऊर्जा कहलाती है |

Leave a Comment