dhatu evm adhatu | Bseb Class 10 Science धातु एवं अधातु

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Bseb Class 10th Science Chapter 3 dhatu evm adhatu – धातु एवं अधातु Subjective

पाठ – 3 : धातु एवं अधातु

1. धातु तथा अधातु से आप क्या समझते है ?

धातु :- धातु एक तत्व है | यह विधुत का सुचालक तथा अघातवर्धनीय होता है | इसमें विशेष प्रकार की चमक पाई जाती है | इन सभी गुणों के आधार पर धातु कहा जाता है |

अधातु :- जिन तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण विल्कुल भिन्न होते है | उसे अधातु कहते है |

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2. धातुओ के भौतिक गुणों को लिखे ?

उत्तर – धातुओ के भौतिक गुण निम्नलिखित है,, जो इस प्रकार से है –

क. विधुत एवं उष्मीय चालकता :- सभी धातुएँ ऊष्मा एवं विधुत की सुचालक होती है | इसमें सिल्वर धातु ऊष्मा और विधुत की अधिक सुचालक होती है |

ख. अघातवर्ध्य्नीय नियतांक :- धातुएँ अघातवर्ध्य्नीय होती है | अर्थात इन्हें हथौड़े से पीटकर इनकी चादरे बनाई जाती है |

ग. तन्यता :- धातुएं तनी होती है | अर्थात इन्हें खीचकर पतले तार बनाये जा सकते है |

घ. द्र्व्यनांक एवं क्वथनांक :- धातुओ के द्र्व्यनांक एवं क्वथनांक उच्च होते है |

ङ. चमक :- सभी धातुओ में एक विशेष प्रकार की चमक पाई जाती है | जिसे धातुई चमक कहते है | इन धातुओ को हथौड़े से पीटने पर एक विशेष प्रकार की आवाज निकलती है |

धातु एवं अधातु कक्षा 10

3. धातुओ को रासायनिक गुणों का उल्लेख करे ?

उत्तर – धातुओ के रासायनिक गुण निम्नलिखित है,, जो इस प्रकार से है –

क. आँक्सीजन के साथ संयोग :- सभी धातुओ से आँक्सीजन के साथ अभिक्रिया का आक्साइड बनता है |

ख. जल के साथ सभिक्रिया :- विभिन्न धातु जल के अभिक्रिया करके आक्साइड एवं OH और H2 बनाते है |

ग. धातु की अन्य धातुओ के लवण के विलयन के साथ अभिक्रिया :- क्रियाशील धातुएँ अपने से कम क्रियाशील शातू के लवण क विस्थापित कर देता है |

4. अधातुओ के भौतिक गुणों को लिखे ?

उत्तर – अधातुओ के भौतिक गुण निम्नलिखित है,, जो इस प्रकार से है –

क. भौतिक अवस्था :- अधातुओ समान ताप पर तीनो अवस्था में पाई जाती है |

ख. भंगुरता :- अधातुएँ प्रायः भंगुर होती है | जिससे तार एवं चादर नहीं बनती है | या बनाई नहीं जा सकती है | और इसे हथौड़े से पीटने पर चूर चूर हो जाता है |

ग. चमक :- अधातुएँ में कोई विशेष प्रकार की चमक नहीं पाई जाती है |

घ. ऊष्मा एवं विधुत चालकता :- आधातु विधुत और ऊष्मा का कुचालक होती है |

. द्र्व्यनांक एवं कव्थानांक अधातु के निम्न होते है |

5. अधातुओ के रासायनिक गुण को लिखे ?

उत्तर – अधातुओ के रासायनिक गुण निम्नलिखित है,, जो इस प्रकार से है –

क. आँक्सीजन के साथ अभिक्रिया :- अधातुएँ आँक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके अम्लीय आक्साइड बनाती है | यह आक्साइड जल में घुलकर अम्ल बनाते है |
जैसे :- कार्बन आँक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके कार्बन डाईआक्साइड बनाता है | और यह आक्साइड जल से अभिक्रिया करके कार्बोनिक अम्ल बनाती है |

ख. क्लोरिन से साथ अभिक्रिया :- अधातुएँ क्लोरिन के साथ अभिक्रिया करके क्लोराइड बनाती है |
जैसे :- फास्फोरस से क्लोरिन के साथ अभिक्रिया करके फास्फोरस ट्राईक्लोराइड बनता है |

ग. जल के साथ अभिक्रिया :- अधातुएँ जल के साथ अभिक्रिया नहीं करती है |

घ. अम्लो के साथ अभिक्रिया :- अधातुएँ अम्लो के साथ प्रायः अभिक्रिया नहीं करती है | लेकिन कुछ अधातुएँ आक्सीकारक अम्लो के साथ अभिक्रिया करके आक्सी अम्ल बनाती है |

ङ. हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया :- अधातुएँ हाइड्रोजन के साथ संयोग करके हाइड्रोइड का निर्माण करती है |
जैसे :- H2 गैस प्रवाहित करने पर अल्प मात्रा में H2S बनता है |

6. भौतिक गुणों के आधार पर धातु और अधातु में अंतर स्पष्ट करे ?

उत्तर – भौतिक गुणों के आधार पर धातु और अधातु में निम्नलिखित अंतर है,, जो इस प्रकार से है –

धातु
1. धातु विधुत और ऊष्मा की सुचालक होती है |
2. धातुएं प्रायः विधुत धनात्मक होती है |
3. धातुएं तनी होती है |
4. धातुओ में एक विशेष प्रकार की चमक होती है |
5. धातुएं आघात वर्धनीय तथा तन्य होती है |
6. धातुओ के धनत्व उच्च होता है |
7. हथौड़े से पीटने पर धातुओ से एक विशेष प्रकार की ध्वनी निकलती है | जिसे धातुई ध्वनी कहते है |

अधातु
1. अधातु विधुत और ऊष्मा की कुचालक होती है |
2. अधातु प्रायः विधुत ऋणात्मक होती है |
3. अधातुएँ तन्य नहीं होती है |
4. अधातुओ में ऐसी कोई चमक नहीं होती है |
5. अधातुओ के धनत्व निम्न होती है |
6. अधातुओ में धातुई नहीं निकलती है | बल्कि हथौड़े से पीटने पर अधातुएँ टूट कर चूर हो जाती है |

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7. सोडियम परमाणु और सोडियम आयन में मुख्य अंतर बतावे ?

उत्तर – सोडियम परमाणु और सोडियम आयन में निम्नलिखित अंतर है,, जो इस प्रकार से है –

सोडियम परमाणु
1. सोडियम परमाणु विधुत उदासीन होता है |
2. सोडियम परमाणु में प्रोटानो और इलेक्ट्रानो की संख्याएं समान होती है |
3. सोडियम परमाणु के संयोजी शेल में सिर्फ 1 इलेक्ट्रान रहता है |
4. सोडियम परमाणु का आकार सोडियम आयन से बड़ा होता है |
5. सोडियम परमाणु अति क्रियाशील होता है | यह वायु और जल के साथ शीध्रता से अभिक्रिया करता है |
6. सोडियम परमाणु के गुण इसके संयोजी शेल में इलेक्ट्रान के कारण है |

सोडियम आयन
1. सोडियम आयन पर घन आवेश रहता है |
2. सोडियम आयन में प्रोटान रहते है | जबकि इसमें इलेक्ट्रानो की संख्या 10 रहती है |
3. सोडियम आयन के संयोजी शेल में 8 इलेक्ट्रान रहते है |
4. सोडियम आयन का आकार सोडियम परमाणु के आकार से छोटा होता है |
5. सोडियम आयन स्थायी होता है | यह वायु और जल से अभिक्रिया नहीं करता है |
6. सोडियम आयन के गुण इसके आवेश के कारण है |

8. क्लोरिन परमाणु और क्लोराइड आयन में मुख्य अंतर बतावे ?

उत्तर – क्लोरिन परमाणु और क्लोराइड आयन में निम्नलिखित अंतर है,, जो इस प्रकार से है –

क्लोरिन परमाणु
1. क्लोरिन परमाणु विधुत उदासीन होता है |
2. क्लोरिन परमाणु में प्रोटानो और इलेक्ट्रानो की संख्याएं समान (17) होती है |
3. क्लोरिन परमाणु के ब्रह्मत्म शेल संयोजी शेल में 7 इलेक्ट्रान है |
4. यह अस्थायी होता है |
5. क्लोरिन परमाणु का आकार क्लोराइड आयन के आकार से छोटा होता है |
6. क्लोरिन परमाणु क्रियाशील होता है |

क्लोराइड आयन
1. क्लोराइड आयन पर ऋण आवेश रहता है |
2. क्लोराइड आयन में प्रोट्रानो की संख्या 17 किन्तु इलेक्ट्रानो की संख्या 18 होती है |
3. क्लोराइड आयन के संयोजी शेल में 8 इलेक्ट्रान रहते है |
4. यह स्थायी होता है |
5. क्लोराइड आयन का आकार क्लोरिन परमाणु के आकार से बड़ा होता है |
6. क्लोरिन आयन अक्रियाशील होता है |

9. वैधुत संयोजक यौगिक और सहसंयोजक यौगिक में अंतर बतावे ?

उत्तर – वैधुत संयोजक यौगिक और सहसंयोजक यौगिक में निम्नलिखित अंतर है,, जो इस प्रकार से है –

वैधुत संयोजक यौगिक
1. ये इलेक्ट्रान के पूर्व स्थानांतरण के फलस्वरूप बनते है |
2. ये आयनों से बने होते है |
3. इनके द्रवनांक और क्वथनांक उच्च होते है |
4. ये जल में प्रायः बेजिं क्लोरोफॉर्म आदि कार्बनिक विलायको में प्रायः अविलेय होते है |
5. विलयन में ये तीव्रता से अभिक्रिया करते है |

सहसंयोजक यौगिक
1. ये इलेक्ट्रानो के पारस्परिक साझा के फलस्वरूप बनते है |
2. ये उदासीन अणुओ से बने होते है |
3. इनके द्र्व्यनांक और क्वथनांक निम्न होते है |
4. ये जल में अविलेय किन्तु कार्बनिक विलायको में विलेय होते है |
5. विलयन में इनकी अभिक्रियाएँ प्रायः धीरे – धीरे होती है |

10. सोडियम धातु को किरोसिन में डुबाकर क्यों रखा जाता है ?

उत्तर – सोडियम समान्य ताप पर नमी एवं हवा के O2 के साथ तेजी से अभिक्रिया करती है | और NAO बनाती है | खुले हवा में छोड़ देने पर यह जल उठती है | जिससे खतरा होने का भय बना रहता है | क्योकि सोडियम किरोसिन तेल में अविलेय होता है | तथा O2 से अभिक्रिया नहीं करता है | जिससे खतरा होने का डर नहीं बना रहता है | इसलिए सोडियम धातु को किरोसिन तेल में डुबो कर रखा जाता है |

11. रासायनिक बंधन किसे कहते है ?

उत्तर – वह बंधन जो किसी अणु में उपस्थित परमाणुओ को एक साथ बाँध कर रखता है | रासायनिक बंधन कहलाता है |

12. रासायनिक बंधन कितने प्रकार की होती है’’ परिभाषा दे ?

उत्तर – रासायनिक बंधन मुख्यतः दो प्रकार के होते है –

क. वैधुत संयोजक यौगिक :- वैधुत संयोजक यौगिक या आयनिक यौगिक वैसा रासायनिक बंधन जिसमे दो परमाणुओ के बिच एक परमाणु से दुसरे परमाणु में एक या अधिक इलेक्ट्रानो के स्थानान्तरण के फलस्वरूप जो बंधन बनाता है | उसे वैधुत संयोजक यौगिक या आयनिक यौगिक कहते है |

ख. सहसंयोजक यौगिक बंधन :- जब दो परमाणु आपस में इलेक्ट्रान का साक्षा करके अपना अष्टक पूरा करते है | तब उनके बिच बना हुआ रासायनिक बंधन या सहसंयोजक बंधन कहलाता है |

13. वैधुत संयोजकता किसे कहते है ?

उत्तर – किसी तत्व के परमाणु के आयन में परिवर्तित होने के लिए उसके द्वारा त्याग या प्राप्त इलेक्ट्रानो की संख्या उस तत्व की वैधुत संयोजकता कहलाता है |

14. वैधुत संयोजक या आयनिक यौगिको की विशेषताओं का उल्लेख करे ?

उत्तर – वैधुत संयोजक या आयनिक यौगिक की विशेषताओं का उल्लेख निम्नलिखित है,, जो इस प्रकार से है –
. यह यौगिक घन और ऋण आवेश युक्त आयनों से बने होते है |
. इसके द्र्व्यनांक और क्वथनांक प्रायः उच्च होते है |
. यह जल में प्रायः विलेय कार्बनिक विलायको में अविलेय होते है |
. यह द्रवित जलीय विलयन की अवस्था में विधुत का सुचालक होते है |

15. आयनिक यौगिक के ग्ल्वानांक ( द्र्व्यनांक ) उच्च क्यों होती है ?

उत्तर – आयनिक यौगिक घन एवं ऋण आवेश युक्त आयनों से बने होते है | ताप आयन स्थिर वैधुत आकर्षण बल के द्वारा एक दुसरे को काफी मजबूती से बांधे होते है | उस आकर्षण बल को कम करने के लिए अत्यधिक उर्जा की आवश्यकता होती है | यह कारण है,, की आयनिक यौगिक का गल्वानांक उचं होते है |

16. निस्तापन और भर्जन ( जारण ) में क्या अंतर है ?

उत्तर – निस्तापन और भर्जन में निम्नलिखित अंतर है,, जो इस प्रकार से है –

निस्तापन
1. इस प्रक्रिया में अयस्क को वायु अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है |
2. यह आक्साइड एवं कर्बोनिट अयस्को के लिए प्रयुक्त होती है |

भर्जन
1. इस प्रक्रिया में अयस्क को वायु की उपस्थिति में गरम किया जाता है |
2. यह सल्फाइड अयस्को के लिए प्रयुक्त होती है |

17. खनिज और अयस्क में क्या अंतर है’’ बतावे ?

उत्तर – खनिज और अयस्क में निम्नलिखित अंतर है,, जो इस प्रकार से है –

खनिज
1. भूपरपट्टी में पाए जाने वाले तत्व या यौगिक को खनिज कहते है |
2. सभी खनिजो में धतू की प्रतिशत मात्रा एक समान नहीं होता है |
3. खनिजो में कुछ अशुद्धिय होती है | जो धातु के निष्कर्षन विधि द्वारा अलग किया जा सकता है |
4. सभी खनिजो में धातु का निष्कर्षन नहीं हो सकता है | सभी खनिज अयस्क नहीं होते है |

अयस्क
1. वे खनिज जिनसे धातुएँ आसानी से तथा कम कर्च में प्राप्त की जाती है | उसे अयस्क कहते है |
2. सभी अयस्को में धतू की प्रतिशत मात्रा पर्याप्त होती है |
3. सभी अयस्को में अशुद्धिया नहीं होने की बराबर होती है |
4. सभी अयस्को में धातु का निष्कर्षन हो सकता है | सभी अयस्क खनिज होते है |

18. उभयधर्मी आक्साइड क्या होता है’’ दो उभयधर्मी आक्साइड का उदाहरण दे ?

उत्तर – धातु के वैसे आक्साइड जो अम्ल एवं भस्म दोनों से अभिक्रिया करके लवण एवं जल बनाते है | उसे उभयधर्मी आक्साइड कहते है |

19. एलुमिनियम अत्यंत क्रियाशील धातु है’’ फिर भी इसका उपयोग खाना बनाने के लिए किया जाता है’’ इसका क्या कारण है ?

उत्तर – एलुमिनियम ऊष्मा का अच्छा चालक है | इसका संक्षारण न के बराबर भी नहीं होता है | इसलिए इसका उपयोग खाने बनाने में किया जाता है |

कक्षा 10 विज्ञान पाठ 3 के प्रश्न उत्तर

20. सोना एवं चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता है’’ इसका कारण बतावे ?

उत्तर – सोना एवं चाँदी बहुत कम अभिक्रिया शील धातुएँ होता है | इसके साथ ही इसका संक्षारण भी नहीं होती है | और पुराने हो जाने के बाद भी उसकी चमक बनी रहती है | इसलिए इसका उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता है |

21. आपने ताम्बे की मलिन वर्तन को निम्बू या इमली के रस से साफ़ करते अवस्था देखा होगा | यह खट्टे पदार्थ का उपयोग वर्तन साफ़ करने में क्यों किया जाता है ?

उत्तर – ताम्बा पर क्षारिये कॉपर कार्बोनेट के हरी परत जमने के कारण इसका रंग मलिन हो जाता है | जब ताम्बे के मलिन वर्तन को निम्बू या इमली के रस से साफ़ किया जाता है | तो अम्लिये पदार्थ क्षारिये कॉपर कार्बोनेट से अभिक्रिया करके उसे ताम्बे की वर्तन से अलग कर देती है | जिससे वर्तन चमकने लगता है | खट्टे पदार्थ क्षारिये कॉपर कार्बोनेट को हटाने में सक्षम होती है | इसलिए पदार्थ वर्तन साको साफ़ करने में प्रवाहित होता है |

22. निएकर्षण प्रक्रम में कार्बोनेट एवं सल्फाइड अयस्य को आक्साइड में परिवर्तित किया जाता है’’ इसका क्या कारण है ?

उत्तर – सल्फाइड या कार्बोनेट की तुलना में आक्साइड अयस्क से धातु का निष्कर्षण ज्यादा आसान होता है | इसलिए अपचयन से पहले धातु के सल्फाइड एक कार्बोनेट को धातु आक्साइड में परिवर्तित कर दिया जाता है |

23. गर्म जल का टैंक बनाने में ताम्बा का उपयोग होता है’’ परन्तु इस्पात का नहीं | इसका कारण बताएँ ?

उत्तर – ताम्बा जल के साथ किसी भी स्थिति में अभिक्रिया नहीं करती है | लेकिन लोहा भाप के साथ अभिक्रिया करके आक्साइड एवं हाइड्रोजन गैस बनाती है | इसलिए गर्म जल का टैंक बनाने में ताम्बा का उपयोग होता है | लेकिन लोहा अर्थात इस्पात का उपयोग नहीं होता है |

24. खनिज अयस्क गैंग भर्जन और निष्पातन को परिभाषित करे ?

क. खनिज :- भुपर्पटी में पर्कृतिक रूप पाए जाने वाले तत्व या यौगिक को खनिज कहते है |

ख. अयस्क :- वैसा खनिज जिनसे सरलता पूर्वक धातुओ का निष्कर्षण होता है | उसे अयस्क कहते है |

ग. गैंग :- अयस्को में उपस्थित अशुद्धियो को गैंग कहते है |

घ. भर्जन :- सांद्रित अयस्क को वायु की उपस्थिति में तेजी से गरम कर बिना पिघले आक्साइड में बदलना भर्जन कहलाता है |

ङ. निष्पातन :- सांद्रित अयस्क को वायु की सिमित उपस्थिति में धीरे – धीरे गर्म करके बिना पिघले आक्साइड बदलना निष्पातन कहलाता है |

25. सक्रियता श्रेणी से आप क्या समझते है ?

उत्तर – धातुओ की ऐसी सूचि जिसमे समान्य धातुओ को उनके घटते हुए अभिक्रिया शिलताओ के आधार पर क्रमबद्ध किया जाता है | उसे सक्रियता श्रेणी कहते है |

26. मिश्र धातु अम्लगम जंग / संक्षारण को परिभाषित करे ?

क. मिश्र धातु :- दो आथवा दो से अधिक धातुओ आथवा एक धातु एवं एक अधातु के समाग्री मिश्रण को मिश्रधातु कहते है | शुद्ध धातु की अपेक्षा मिश्र धातु की विधुत चालकता कम होती है |

ख . अम्लगम :- यदि मिश्र धातु में एक धातु पारा हो तो धातु को अम्ल कहते है |

ग. संक्षारण :- धातु की साथ पर वायु के आँक्सीजन कार्बनडाईआक्साइड , जलवाष्प , सल्फर डाईआक्साइड आदि की अभिक्रिया के फलस्वरूप धातु का क्षय होना संक्षारण कहलाता है |

घ. जंग :- जब लोहा को अधिक समय तक आद्र हवा में छोड़ डिया जाता है | तो उसपर एक भूरे रंग की परत जम जाती है | जिसे जंग कहते है |

27. सहसंयोजक बंधन कितने प्रकार के होते है ?

उत्तर – सहसंयोजक बंधन तीन प्रकार के होते है,, जो इस प्रकार से है –

क. एकल सहसंयोजक बंधन :- जब दो परमाणुओ के बिच इलेक्ट्रानो के सिर्फ एक युग्म का साझा होती है | तब उसे एकल सहसंयोजक बंधन कहते है |

ख. द्रिक सहसंयोजक बंधन :- जब संयोग करने वाले दोनों परमाणु दो – दो इलेक्ट्रानो का साझा करते है | तब उनके बिच द्रिक सहसंयोजक बंधन बनता है |

ग. त्रिक सहसंयोजक बंधन :- जब संयोग करने वाले दो परमाणु तीन – तीन इलेक्ट्रानो का साझा करते है | तब उसे त्रिक सहसंयोजक बंधन कहते है |

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28. सहसंयोजक यौगिक की विशेषताओं का उल्लेख करे ?

उत्तर – सहसंयोजक यौगिक की निम्नलिखित विशेषताएँ है,, जो इस प्रकार से है –
. सहसंयोजक यौगिक प्रायः वाष्पशील द्रव या गैस होते है |
. सहसंयोजक यौगिक के द्रवनांक और क्वथनांक प्रायः निम्न होता है |
. सहसंयोजक यौगिक विधुत के कुचालक होता है |
. सहसंयोजक यौगिक जल में प्रायः अविलेय परन्तु कार्बनिक विलायको में प्रायः विलेय होता है |

29. धातु क्रम से आप क्या समझते है’’ धातु कर्म में प्रयुक्त होने वाले कुछ मुख्य पदों के नाम लिखे ?

उत्तर – अयस्को से धातु का निष्कर्षण एवं उनके शोधन की प्रक्रिया को धातुक्रम कहते है |

धातुक्रम में प्रयुक्त होने वाले मुख्य पद निम्नलिखित है,, जो इस प्रकार से है –
. अधात्री
. अयस्क
. निष्पातन
. भर्जन
. धातुमल

30. द्रावक धातुमल , प्रग्लन को परिभाषित करे ?

क. द्रावक :- द्रावक वह पदार्थ है | जिसे निस्तापित या जारित अयस्क एवं कोक के साथ मिश्रित कर मिश्रण को गर्म किया जाता है | ऐसा करने से उपद्रव्य दूर हो जाते है | उसे द्र्वाक कहते है |

ख. धातुमल :- द्र्वाक अयस्क में उपस्थित अद्रवणशील उपद्रव्यों के साथ संयोग करके उन्हें द्रवणशील पदार्थ में परिवर्तित कर देता है | उसे धातुमल कहते है |

ग. प्रग्लन :- धातु के आक्साइड को कोक के साथ गर्म करके उसे धातु में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को प्रग्लन कहते है |

31. धातुमल में प्रयुक्त उपक्रम को लिखे ?

उत्तर – धातु में प्रयुक्त उपक्रम निम्नलिखित है,, जो इस प्रकार से है –
. अयस्क का सांद्रण
. सांद्रित अयस्क के धातु के आक्साइड परिवर्तन
. धातु के आक्साइड से धातु का निष्कर्षण धातु का शोधन

32. अयस्क का सांद्रण से आप क्या समझते है’’ अयस्क के सांद्रण को प्रमुख विधियों का उल्लेख करे ?

उत्तर – अयस्क में विधमान उपद्रवियों को दूर करने के लिए अयस्क का सांद्रण किया जाता है | अयस्क के सांद्रण के निम्नांकित प्रमुख विधियाँ है’’ जो इस प्रकार से है –

क. हाथ से चुनकर :- 

अयस्क में विधमान बड़े आकार के टुकड़े को हाथ से चुनकर अलग किया जाता है | अब अयस्क के टुकड़े को क्रशर में डालते है | जो इन टुकड़े को चूर – चूर कर देता है | इसके बाद प्राप्त अयस्क के चूर्ण को स्तैम्य मिल में डालने पर अयस्क अत्यंत बारीक रूप में परिवर्तित हो जाता है | इस प्रकार हाथ से चुनकर अयस्क का सांद्रण किया जाता है |

ख. गुरुत्व पृथ्थकरण विधि :- 

अयस्क के महीन पिसे हुए चूर्ण को जल से भरे तलाब में खौलाते है | ऐसा करने से विलेय अशुद्धिया जल में घुल जाति है | कम घनत्व वाली हल्की अशुद्धिया जल के उपरी भाग में आ जाती है | और भारी अयस्क के कण पेदी में बैठ जाते है | जल की धारा प्रवाहित कर जल में धूलि हुई तथा कम घनत्व वाली अशुद्धियो को दूर कर दिया जाता है | इस प्रकार सांद्रित अयस्क प्राप्त होता है |

ग. फेन प्लवन विधि :-

अयस्क के भारी चूर्ण को जल से भरी एक टैंक में डालते है | तत्पश्चात उस जल में थोडा तेल डालकर वायु प्रवाह द्वारा झाग या फेन उत्पन्न किया जाता है | स्ल्फाईट अयस्क के कण झाग के साथ ऊपर आ जाते है | तथा अशुद्धिया निचे बैठ जाति है | झाग को समाप्त करने के लिए उसमे थोड़ा अम्ल मिलाया जाता है | इस प्रकार सांद्रित अयस्क को छान कर सुखा लिया जाता है | इस विधि द्वारा ताम्बा एवं जस्ता के सल्फाइड अयस्को का सांद्रण किया जाता है |

घ. चुम्बकीय पृथ्थककरण विधि :- 

यह विधि वैसे अयस्क के लिए प्रयुक्त होती है | जब अयस्क और उसमे विधिमान आपद्र्व्यो में कोई एक चुम्बक ही टिन के अयस्क टिन स्टोन में कुछ चुम्बकीय पदार्थ उपस्थित रहते है | टिन स्टोन अयस्को को पिस कर महीन चूर्ण बना दिया जाता है | अब इस चूर्ण को एक विधुत चुम्बकीय बेलनो के ब्लेड पर डालकर मशीन को चालु कर दिया जाता है | चुम्बकीय करण होने के कारण चुम्बक को आपनी ओर आकर्षित करके एक पात्र में गिराता है | जब अचुम्ब्कीय पदार्थ उससे दूर होकर एक अलग पात्र में गिरता है | इस प्रक्रिया द्वारा सांद्रित टिन स्टोन अयस्क प्राप्त किया जाता है |

33. मिश्रधातु के गुणों को लिखे ?

उत्तर – मिश्रधातु के निम्नांकित गुण है,, जो इस प्रकार से है –
. यह अपने अवयवो से अधिक कठोर होते है | लेकिन इनकी तन्यता एवं अघात्वर्ध्य वर्ग कम होती है |
. यह संक्षारण अवशोषधक होते है |
. इनके द्रवनांक एवं इनकी विधुत चालकता इनके अवयवो की अपेक्षा कम होती है | इनकी गुरुत्वता इनको अवयवो की तुलना में बढ़ जाती है |

34. स्टेन लेंस स्टील क्या है ?

उत्तर – लोहा निकेल एवं क्रोमियम के साथ मिश्रित करके बनी मिश्रधातु को स्टेन लेंस स्टील कहते है | स्टेन लेंस स्टील काफी कठोर एवं जंग नहीं लगने वाला मिश्रधातु है |

35. संक्षारण रोकने वाले उपायों को लिखे ?

उत्तर – संक्षारण रोकने के निम्नांकित उपाय है’’ जो इस प्रकार से है –

क. धातु की साथ पर लेप चढाकर :- धातु की बाहरी सतह पर ग्रीज या बानिशी की एक पतली परत चढ़ा देते है | यह धातु को वायु या जलवाष्प के सम्पर्क से बंचित कर देती है | जिसके कारण इनका संक्षारण रुक जाता है |

ख. रंगाई करके :- धातु की साथ को किसी अम्ल अवरोधक रंग से रंगाई कर देने से धातु का संक्षारण रुक जाता है |

ग. विधुत लेपन द्वारा :- विधुत अपघटन क्रिया द्वारा किसी धातु पर किसी अन्य धातु का चढ़ना विधुत लेपन कहलाता है | कुछ धातुओ के विधुत लेपन कर देने से संक्षारण रुक जाता है |

घ. जस्तीकरण करके :- लोहा का जस्ती करण कर देने पर उसका संक्षारण रुक जाता है |

dhatu evm adhatu question answer – धातु एवं अधातु के प्रश्न उत्तर

36. लोहा , एलुमिनियम , पारा , जास्ता के प्रमुख अयस्को के नाम लिखे ?

क. लोहा के अयस्क :- लोहा के प्रमुख अयस्क है,, जो इस प्रकार से है –
i. हेमाटाईट
ii. मैगनेटाईट
iii. सिडेराईट

ख. एलुमिनियम के अयस्क :- एलुमिनियम के प्रमुख अयस्क है,, जो इस प्रकार से है –
i. बांक्साइड
ii. कोरंडम
iii. क्रायोलाईट

ग. पारा का अयस्क :- पारा का प्रमुख अयस्क सिनेवार होता है | जिससे पारा का निष्कर्षण किया जाता है |

घ. जास्ता का अयस्क :- जास्ता का अयस्क प्रमुख है,, जो इस प्रकार से है –
i. जिंक ब्लेड
ii. कैलेमाइन
iii. जिंककाइए

37. ताम्बा , सिलिकॉन तथा गंधक के प्रमुख अयस्को के नाम लिखे ?

क. ताम्बा अयस्क :- ताम्बा अयस्क निम्नांकित है,, जो इस प्रकार से है –
i. कॉपर ग्लांस
ii. कॉपर पाईराइट्स
iii. क्यूप्राइट
iv. मैलेकाईट

ख. सिलिकॉन का अयस्क :- सिलिकॉन के प्रमुख अयस्क है,, जो इस प्रकार से है –
i. अभ्रक
ii. सिलिका

ग. गंधक का अयस्क :- गंधक का अयस्क प्रमुख है,, जो इस प्रकार से है –
i. सिनेवार
ii. जिप्सम
iii. जिंक ब्लेड
iv. हेवीस्पायर

38. फास्फोरस के अपरुपो को लिखे’’ इसका उपयोगो को लिखे ?

उत्तर – फास्फोरस के निम्नांकित अपरूप होते है,, जो इस प्रकार से है –
. श्वेत या पिला फास्फोरस
. लाल फास्फोरस
. काला फास्फोरस
. बैगनी फास्फोरस
. सिंदूरी फास्फोरस

फास्फोरस के उपयोग :- इसके उपयोग निम्नांकित है,, जो इस प्रकार से है –
. लाल फास्फोरस का उपयोग दिया , सलाई के निर्माण में किया जाता है |
. चूहा मारने के लिए विष , अतिशबाजी के समान अगिनबम इत्यादि तैयार करने में इसका उपयोग किया जाता है |
. प्रयोगशाला में हाइड्रो आयोडिक अम्ल तथा हाइड्रो ब्रोमिक अम्ल बनाने में इसका उपयोग किया जाता है |
. सुपर फास्फोट का उपयोग उर्वरक के निर्माण में किया जाता है |

39. श्वेत , पिला फास्फोरस तथा लाल फास्फोरस में अंतर स्पष्ट करे ?

उत्तर – श्वेत , पिला फास्फोरस और लाल फास्फोरस में निम्नांकित अंतर है,, जो इस प्रकार से है –

श्वेत पिला फास्फोरस
1. ताजा रहने पर यह श्वेत रंग का ठोस होता है | कुछ समय के बाद यह हल्का पिला रंग का बन जाता है | यह मुलायम ठोस है | जिसे चाक़ू से काटा जा सकता है |
2. इसमें लहसुन जैसी गंध होती है |
3. यह जल में लगभग अविलेय होता है |
4. यह शीघ्र ही जल में उठता है |

लाल फास्फोरस
1. यह बैगनी लाल रंग का भुरभुरा पाउडर है |
2. यह गंध हिन् होती है |
3. यह जल में अविलेय होती है |
4. यह गर्म करने पर जलता है |

40. विधुत अपघटन विधि से धातु का शोधन किस प्रकार किया जाता है ?

उत्तर – विधुत अपघटन विधि द्वारा ताम्बा , जिंक निकेल , सिल्वर , गोल्ड , एलुमिनियम आदि धातुओ को शुद्ध रूप में प्राप्त किया जा सकता है | इसमें अशुद्ध धातु को कैथोड के रूप में इस्तेमाल किया जाता है | धातु के एक लवण का विलयन विधुत अपघटन का कार्य करता है | विधुत धरा प्रवाहित करने पर एनोड से शुद्ध धातु निकलकर विलियन में से उतनी ही शुद्ध धातु कैथोड पर एकत्रित हो जाती है | अशुद्धियाँ विलियन में चले जाते है | और अविलेय अशुद्धियाँ कैथौड के निचे पेंदी में एकत्र हो जाते है |

41. बाक्साइड अयस्क से एलुमिनियम के निष्कर्षण को बताएँ ?

उत्तर – बाक्साइड में लोहा टाइटेनियम और सिलिकॉन के आक्साइड अशुद्धि के रूप में उपस्थित रहते है | बाक्साइड के महीन चूर्ण के सोडियम हाइड्रासाइड के विलियन में डालकर सोडियम एलुमिनेट बनता है | या सोडियम र्लुमिनेट जल से अभिक्रिया करके एलुमिनियम हाइड्राक्साइड का सफेद अवक्षेप देता है | इस अवक्षेप को गर्म करने के पश्चात शुद्ध एलुमिनियम आक्साइड प्राप्त होता है |

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42. कुछ मिश्रधातु के नाम संगठन तथा उनके उपयोग को लिखे ?

उत्तर – कुछ मिश्रधातु का नाम संगठन एवं उपयोग निम्नांकित है’’ जो इस प्रकार से है –

क. इस्पात :- यह लोहा तथा कार्बन से बना मिश्रधातु होता है | इसका उपयोग रेल, लाइन, पुल , जहाजो , भवनों तथा यातायात के साधनों के निर्माण में किया जाता है |

ख. स्टेन लेंस स्टील :- यह लोहा निकेल क्रोमियम कार्बन से बना मिश्रधातु होता है | जिसका उपयोग मोटर एवं साइकिल के पार्ट्स , रसोईघर के बर्तन , ब्लेड, कैंची, चाक़ू आदि बनाने में किया जाता है |

ग. पीतल :- यह ताम्बा तथा जस्ता से बना मिश्रधातु होता है | जिसका उपयोग खाना पकाने के बर्तन , मूर्ति , सिक्का , तार , वाह्य यंत्र आदि बनाने में किया जाता है |

घ. ड्यूरेलुमिन :- यह एलुमिनियम ताम्बा मैग्नीशियम , मैगनीज , आदि से बना मिश्रधातु है | जिसका उपयोग वायुयान बनाने में प्रेशर में इसका उपयोग किया जाता है |

ङ. जर्मन सिल्वर :- यह ताम्बा निकेल एवं जिसका उप्यो बर्तन , सिक्का , आभूषण, हीटर आदि में होता है |

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