Bhartiya Chitrapat Notes । Bseb Class 9 Hindi भारतीय चित्रपट

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Bihar Board Class 9th Hindi Chapter 5 Bhartiya Chitrapat – भारतीय चित्रपट : मूक फिल्मों से सवाक फिल्मों तक Question Answer

पाठ – 5 : भारतीय चित्रपट : मूक फिल्मों से सवाक फिल्मों तक

1. उन्नीसवीं और बीसवीं सदी ने दुनिया को कई करिश्मे दिखाए’’ लेखक ने किस करिश्मे का वर्णन विस्तार से किया है ?

उत्तर – 19वीं और 20वीं सदी ने दुनिया को कई करिश्मे दिखाए ! लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है ! क्योकि 19वीं और 20वीं सदी में ही गैस की रौशनी, बिजली का चमत्कार, टेलीग्राम, टेलीफोन, रेलगाड़ी, मोटरगाड़ी जैसे करिश्मे का वर्णन विस्तार से किया है।

2. भारतीय चित्रपट में मूक से सवाक् फिल्मों तक के इतिहास को रेखांकित करते’ हुए दादा साहब फालके का महत्व बताइए ?

उत्तर – भारतीय चित्रपट में मूक से सवाक् फिल्मों तक के इतिहास में दादा साहब फालके का महत्वपूर्ण योगदान रहा है ! क्योकि 6 जुलाई 1896 को बम्बई में पहली बार सिनेमा दिखाया गया ! और 1984 में पहली बार बम्बई की जनता को पर्दे पर कुछ भारतीय दृश्य देखने को मिला ! उस समय सावे दादा ने ल्युमीयेर ब्रदर्स के प्रोजेक्टर, फोटो डेवलप करने की मशीनें खरीदकर भारत में इस धंधे का एक तरह से राष्ट्रीयकरण किया।

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सावे दादा ने सर आर. पी. पराजपे पर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई ! इसी तरह लोकमान्य तिलक, गोखले आदि पर भी फिल्म बनाई। लेकिन दादा साहब फालके द्वारा बनाई गई फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र से पहले एक फिल्म बनी थी ! उसका नाम ‘भक्त पुंडलीक’ था ! इतिहास ने दादा साहब फालके को ही भारतीय फिल्म उद्योग का जनक माना सावे दादा को नहीं।

Bhartiya Chitrapat Notes । Bseb Class 9 Hindi भारतीय चित्रपट
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Bhartiya chitrapat : muk filmo se swak filmo tak notes in hindi

3. सावे दादा कौन थे’’ भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को पाठ के माध्यम से समझाइए ?

उत्तर – लेखक के अनुसार सावे दादा भारतीय फिल्म को शुरू करने वाले प्रथम व्यक्ति थे ! सावे दादा के द्वारा की शालिनी स्टूडियो की स्थापना की गई थी ! दादा कद से लम्बा, गोरा चिट्टा, दुबले – पतले दिखने वाला व्यक्ति थे ! सावे दादा ने भारतीय ल्यमायर ब्रदसे के प्रोजेक्टर, फोटो डेवलप करने की मशीनें खरीदकर भारतीय फिल्म का एक तरह से राष्ट्रीकरण किया था।

वे इंगलैंड जाकर एक कैमरा भी लाए थे ! और शायद इंगलैंड और फ्रांस के सिनेमा ग्राफी कला विशेषज्ञों से भेंट करके उन्होंने भारत में इस उद्योग को स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की थी ! इसप्रकार सावे दादा का भारतीय सिनेमा का योगदान रहा है।

4. लेखक ने सावे दादा की तुलना में दादा साहब फालके को क्यों भारतीय सिनेमा का जनक माना स्पष्ट कीजिए ?

उत्तर – लेखक ने सावे दादा की तुलना में दादा साहब फालके को क्यों भारतीय सिनेमा का जनक माना है ! ऐसा इसलिए क्योकि सावे दादा ने बहुत सी फिल्मे बनाई ! और तो और उस समय के प्रसिद्ध नेता गोखले तिलक पर भी फिल्मे बनाई ! लेकिन वह सभी फिल्मे उतनी सफल नहीं रही ! जिसके बाद दादा साहब फालके ने भी एक फिल्म बनाई ! जिसका नाम राजा हरिश्चंद्र था ! जो की बहुत विख्यात हुआ।

लेकिन उससे पहले भी दादा साहब फालके ने एक फिल्म बनाई थी ! जिसका नाम ‘भक्त पुंडलीक था ! इसी तुलना के आधार पर सावे दादा की तुलना में दादा साहब फालके को ही भारतीय सिनमा का जनक माना गया ! क्योकि दादा साहब फालके के फिल्मो के कारण ही भारतीय सिनेमा आगे बढ़ी ! जिसके कारण भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च शिखर सम्मान पुरस्कार दादा साहब फाल्के के नाम पर रखा गया।

5. भारतीय सिनेमा के विकास में पश्चिमी तकनीक के महत्व को रेखांकित कीजिए ?

उत्तर – भारतीय सिनेमा के विकास में पश्चिमी तकनीक के महत्व बहुत बड़ा रहा है ! क्योकि भारत में सिनेमा को बनाने के लिए सभी प्रकार के जरुरी समानो को पश्चिमी देशो से ही लाया गया था ! जैसे – ल्युमीयेर ब्रदर्स के प्रोजेक्टर, फोटो डेवलप की मशीने यह सभी यंत्रो को और तो और कुछ तकनीक सिनेमा बनाने की वह भी पश्चिमी देशो से ही दादा साहब सावे आये थे ! जिसके बाद उन्होंने भारत में आकर सिनेमा बना का व्यापार चालु किया।

6. अपने शुरुआती दिनों में सिनेमा आज की तरह किसी कहानी पर आधारित नहीं होती थी’ क्यों ?

उत्तर – अपने शुरुआती दिनों में सिनेमा आज की तरह किसी कहानी पर आधारित नहीं होती थी ! ऐसा इसलिए क्योकि उस समय की सिनेमा पश्चिमी तकनीक पर आधारित होती थी ! जैसे की छोटे – छोटे चित्र दिखाना, हल्के – फुल्के झाकिया दिखाना, समुन्द्र का चित्र, कारखानों से निकले मजदूरो का चीत्र दिखाना ! ऐसा ही होता था ! ना की किसी काहनी पर आधारित सिनेमा बना।

7. भारत में पहली बार सिनेमा कब और कहाँ दिखाया गया ?

उत्तर – भारत में पहली बार सिनेमा को बम्बई के जनता को दिखाया गया था ! तथा भारत में सिनेमा की स्थापना 1897 ई. में हुआ था।

भारतीय चित्रपट पाठ के प्रश्न उत्तर 

8. सिनेमा दिखलाने के लिए अखबारों में क्या विज्ञापन निकला ! इस विज्ञापन का बम्बई की जनता पर क्या असर हुआ था ?

उत्तर – सिनेमा दिखलाने के लिए अखबारों में  विज्ञापन निकला गया था ! की पहली बार जिंदा और चलती – फिरती दौड़ती फोटोएं देखिये ! इस विज्ञापन के निकलते ही बम्बई की जानता में हडकंप मच गया ! और इसको दिखलाने के लिए टिकट का दाम एक रुपया रखा गया था।

9. 1897 में पहली बार बम्बई की जनता को रुपहले पर्दे पर कुछ भारतीय दृश्य देखने को मिले ! उन दृश्यों को लिखें ?

उत्तर – 1897 में पहली बार बम्बई की जनता को रुपहले पर्दे पर कुछ भारतीय दृश्य देखने को मिले थे ! जो की इस प्रकार से है –
क.
बंबई की नारली पूर्णिमा यानी रक्षा बंधन का त्योहार
ख. दिल्ली के लाल किले और अशोक की लाट वगैरह के चंद दृश्यों की झलके
ग. लखनऊ में इमामबाड़ों भी रूपहले पर्दे पर पहली बार दिखाया गया था।

10. काल्कत्ता में स्टार थियेटर की स्थापना किसने की ?

उत्तर – कालकत्ता में स्टार थियेटर की स्थापना मिस्टर स्टीवेंसन नामक एक अंग्रेज व्यक्ति ने किया था।

11. भारत में फिल्म उद्योग किस तरह स्थापित हुआ ? इसकी स्थापना में किन किन व्यक्तियों ने योगदान दिया?

उत्तर – भारत में  फिल्म उद्योग की स्थापना बहुत ही तिलसस्माई ढंग से हुआ था ! तथा इसकी स्थापना में सावे दादा, दादा फाल्के, मिस्टर स्टीवेंशन इत्यादि व्यक्तियों का महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

12. पहली फीचर फिल्म कौन थी ?

उत्तर – भारतीय सिनेमा की पहली फीचर फिल्म ‘भक्त पुंडलीक’ थी।

13. भारत की पहली बॉक्स ऑफिस हिट फिल्म किसे कहा जाता है ?

उत्तर – भारत की पहली बॉक्स ऑफिस हित फिल्म लंका-दहन को कहा जाता है।

14. जे. एफ. मादन का भारतीय फिल्म में योगदान रेखांकित करें ?

उत्तर – जे. एफ. मादन का भारतीय फिल्म में योगदान निम्नांकित है ! क्योकि जे. एफ. मादन ने भी दादा साहब फालके के तरह 1917 में एलफिंस्टन बाइस्कोप कंपनी नामक फिल्म संस्था बनाई ! और वे भी फीचर फिल्म बनाने लगे।

Ncert 9th Class Hindi Bhartiya chitrapat Question Answer

15. शुरुआती दौर की फिल्म को लोग क्या कहते थे ?

उत्तर – भारत में जब शरुआती दौर में जो फिल्मे बनी ! उसे लोग जादुई तिलस्म कहते थे।

16. राजा हरिश्चन्द्र फिल्म में स्त्रियों का पार्ट भी पुरुषों ने ही किया था’ क्यों ?

उत्तर – राजा हरिश्चन्द्र फिल्म में स्त्रियों का पार्ट भी पुरुषों ने इसलिए किया था ! क्योकि उस समय की स्त्रिया कैमरे के सामने आने से शर्माती थी ! इसलिए राजा हरिश्चन्द्र फिल्म में स्त्रियों का पार्ट भी पुरुषों ने ही किया था ! जिसके चलते राजा हरिश्चन्द्र फिल्म में रानी का किरदार भी मास्टर साडंके ने निभाया था ! जो की एक पुरुष थे।

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