Gram Geet Ka Marm Notes । Bseb Class 9 Hindi ग्राम गीत का मर्म

Gram Geet Ka Marm Notes In Hindi, BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 3 ग्रीम-गीत का मर्म, Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 3 Gram Geet ka Marm, gram geet ka marm. Bihar Board Class 9 Hindi, ग्रीम-गीत का मर्म पाठ के प्रश्न उत्तर इन हिंदी

Bihar Board Class 9th Hindi Chapter 3 Gram Geet Ka Marm – ग्राम गीत का मर्म Ka Question Answer

पाठ – 3 : ग्राम गीत का मर्म
लेखक – लक्ष्मी नारायण सुधांशु

1. जीवन का आरंभ जैसे शैशव है ! वैसे ही कला गीत का ग्राम गीत है ! लेखक के इस कथन का क्या आशय है ?

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ग्राम गीत का मर्म शीर्षक से लिया गया है ! जिसके लेखक  लक्ष्मी नारायण सुधांशु  जी हैं ! लेखक इस पंक्ति के माध्यम से यह बताया है ! कि ग्राम गीत संभवतः वह जातीय आशु कवित्व है ! जो कर्म या क्रीड़ा के तल पर रचा गया है ! गीत का उपयोग जीवन के महत्वपूर्ण समाधान के अतिरिक्त साधारण मनोरंजन भी है ! इस तथ्य के माध्यम से सुधांशु जी ने दार्शनिक विचारों को हमारे सामने रखकर सत्य को उजागर किया है।

2. गार्हस्थ्य कर्म विधान में स्त्रियाँ किस तरह के गीत गाती हैं ?

उत्तर – गार्हस्थ्य कर्म विधान में स्त्रियाँ  निम्नलिखित तरह से गीत गाती है ! जो इस प्रकार से है –
क. चक्की पीसते समय
ख. धान कूटते समय
ग. चर्खा चलाते समय  इस प्रकार के गीत वह अपने शरीरी श्रम को हल्का करने के लिए गाती हैं।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Facebook Group Join Now

Gram Geet Ka Marm Notes । Bseb Class 9 Hindi ग्राम गीत का मर्म
Gram Geet Ka Marm Notes । Bseb Class 9 Hindi ग्राम गीत का मर्म
3. मानव जीवन में ग्राम गीतों का क्या महत्व है ?

उत्तर – मानव जीवन में ग्राम गीतों का महत्व पुरुष और स्त्रियों में अलग अलग है ! क्योकि पुरुष और स्त्रियों के गीतों के तुलनात्मक अध्ययन में ग्राम गीतों की प्रकृति स्त्रैण ही रही है ! जहाँ स्त्रियों ने कोमल भावों की अभिव्यक्ति की है ! वही पर पुरुषों ने अवश्य ही अपने संस्कार वश प्रेम को प्राप्त करने के लिए युद्ध घोषणा की है ! इस प्रकार मनुष्य की दो सनातन प्रवृत्तियों जैसे – प्रेम और युद्ध का वर्णन भी ग्राम गीतों में मिलता है ! तथा ग्राम गीत हृदय की वाणी है ! तथा मस्तिष्क की ध्वनि है ! इसलिए मानव जीवन में ग्राम गीतों का बहुत ही महत्व है।

gram geet ka marm notes in hindi Bihar Board

4. ग्राम गीत हृदय की वाणी है। मस्तिष्क की ध्वनि नहीआशय स्पष्ट करें ?

उत्तर –  प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ग्राम गीत का मर्म शीर्षक से लिया गया है ! जिसके लेखक  लक्ष्मी नारायण सुधांशु  जी हैं ! लेखक इस पंक्ति के माध्यम से यह बताया है ! कि ग्राम गीत के उद्गम स्थान की खोज बड़े ही मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक ढंग से की है ! लेखक का कहना है ! कि ग्राम गीत हृदय की वाणी है ! क्योकि जहाँ स्त्रियों ने कोमल भावो को ही अभिव्यक्ति की और ये कोमल भाव ह्रदय में उपजते है ! वही पुरुषो ने अवश्य ही अपने संस्कार वश प्रेम को प्राप्त करने के लिए युद्ध घोषणा की जो की यह एक बुद्धिवादी तरीका है ! मस्तिष्क का उपयोग है ! इसलिए ग्राम गीत में प्रेम और युद्ध दोनों की प्रवृति मिलती है ! इसलिए लेखक ने कहा है ! की ग्राम गीत ह्रदय की वाणी है ! मस्तिष्क की ध्वनी नहीं।

5. ग्राम गीत और कला गीत में क्या अंतर है ?

उत्तर – ग्राम गीत और कला गीत में निम्नलिखित अंतर है, जो इस प्रकार से है –

  1. ग्राम गीत में जीवन की सरलता एवं शुद्धता का वर्णन मिलता है ! जबकि कला गीत में यह सब नहीं मिलता है।
  2. ग्राम गीत में मानव जीवन के संस्कार जैसे – जन्म , मृत्यु और विवाह से जुड़े गीत मिलते है ! जबकि कला गीत में मुक्तक एवं काव्य प्रबंध दोनों का समावेश मिलता है।
  3. ग्राम गीत में व्यक्तिगत इक्छा और वेदना की उद्रित होता है ! जबकि कला गीत में सबसे ज्यदा संस्कृत की परिकृष्ट होती है।
  4. ग्राम गीत जो प्रकृति स्व्तैन थी ! जबकि कला गीत में आकर यह पौरुश्पूर्ण हो गई।
6. ग्राम गीत का ही विकास कला गीत में हुआ है। पठित निबंध को ध्यान में रखते हुए उसकी विकास प्रक्रिया पर प्रकाश डालें ?

उत्तर – ग्राम गीत का ही विकास कला गीत में हुआ है ! यह कथन बिलकुल सही है ! क्योकि जब कला गीत के अंतर्गत मुक्तक और प्रबंध काव्य दोनों का समावेश होता है ! तो इसके इतिहास का अनुसंधान ग्राम गीतों पर ही आकर ठहरता  है ! इसमें बिलकुल भी संन्देह नहीं कि ग्राम गीत से ही काल्पनिक तथा वैचित्र्यपूर्ण कविताओं का विकास हुआ है ! ग्राम गीत में सभ्य जीवन के अनुक्रम से कला गीत के रूप में विकसित हो गया है ! जिसका संस्कार अभी तक देखा जाता है ! ग्राम गीत भी प्रथमतः व्यक्तिगत उच्छवास और वेदना को लेकर उद्गीत किया गया।

परन्तु ग्राम गीत ने समष्टि का इतना प्रतिनिधित्व किया है ! कि उनकी सारी वैयक्तिक सत्ता समाविष्ट में ही तिरोहित हो गई ! जिसके कारण उसे लोक गीत की संज्ञा प्राप्त हुई ! ग्राम गीत को कला गीत के रूप में आने में कुछ समय तो लगा ही पर उसमें सबसे मुख्य बात यह रही कि कला गीत अपनी रूढ़ियाँ बनाकर चले ! कला गीत का क्षेत्र भी व्यापक विस्तृत हुआ ! जिसके चलते ग्राम गीत से कला गीत में परिवर्तन की बात होने लगी और जो की ग्राम गीत एक छोटे वर्ग से आता था ! और वही कला गीत राजा महाराजा और उच्चे वर्ग के लोगो ने ले लिया।

ग्राम गीत के मर्म पाठ के प्रश्न उत्तर 

7. ग्राम गीतों में प्रेम दशा की क्या स्थिति है। पठित निबंध के आधार पर उदाहरण देते हुए समझाइए?

उत्तर – पठित पाठ्य के आधार पर ग्राम गीतों में प्रेम दशा की स्थिति बहुत दयनीय है ! प्रेम या विरह में समस्त प्रकृति के साथ जीवन की जो समरूपता देखी जाती है ! वह क्रोध, शोक, उत्साह,  में नहीं।

8. प्रेम या विरह में समस्त प्रकृति के साथ जीवन की जो समरूपता देखी जाती है, वह क्रोध, शोक, विस्मय, उत्साह, जुगुप्सा आदि में नहीं ! आशय स्पष्ट करें ?

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ग्राम गीत का मर्म शीर्षक से लिया गया है ! जिसके लेखक  लक्ष्मी नारायण सुधांशु  जी हैं ! लेखक इस पंक्ति के माध्यम से यह बताया है ! कि प्रेम में क्या-क्या दशा होती है ! उसका मनोवैज्ञानिक विश्लेषण बड़े ही मार्मिक ढंग से किया है ! लेखक का कहना है ! कि विरहाकुल पुरुष पशु, पक्षी, सबसे अपनी वियुक्त प्रिय का पता पूछ सकता है ! किन्तु क्रुद्ध, मनुष्य अपनी शत्रु का पता प्रकृति से नहीं पूछ सकता है।

यही कारण है ! कि प्रेमिका या प्रेमी प्रकृति के साथ अपने जीवन का जैसा साहचर्य मानते हैं ! वैसा और कोई नहीं ! मनोविज्ञान का यह तथ्य काव्य में एक प्रणाली के रूप में समाविष्ट कर लिया गया है ! प्रिय के अस्तित्व की सृष्टि व्यापिनी भावना से जीवन और जगत की कोई वस्तु अलग नहीं कर सकती ! यही लेखक का आशय है ! जो दार्शनिक आधार पर सत्य साबित होता है।

9. ग्राम गीतों में मानव जीवन के किन प्राथमिक चित्रों के दर्शन होते हैं ?

उत्तर – पठित पाठ्य के आधार पर ग्राम गीतों में मानव जीवन के उन प्राथमिक चित्रों के दर्शन होते हैं ! जिनमें मनुष्य साधारणतः अपनी लालसा, वासना, प्रेम, घृणा, आदि को समाज की मान्य धारणाओं से ऊपर नहीं उठा सकता है ! और अपनी हृदय की भावनाओं को प्रकट करने में उसने कृत्रिम शिष्टाचार का प्रतिबंध भी नहीं माना है।

10. गीत का उपयोग जीवन के महत्वपूर्ण समाधान के अतिरिक्त साधारण मनोरंजन भी है। निबंधकार ने ऐसा क्यों कहा है ?

उत्तर – गीत का उपयोग जीवन के महत्वपूर्ण समाधान के अतिरिक्त मनोरंजन में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान रहता है । जैसे की मनोरंजन के विविध रूप और विधियाँ हैं। स्त्री प्रकृति में गार्हस्थ्य कर्म विधान की जो स्वाभाविक प्रेरणा है ! उसमें गीतों की रचना का अटूट संबंध है ! जैसे की चक्की पिसते समय, धान कूटते समय, चर्खा कातते समय अपने शरीर श्रम को हल्का करने के लिए स्त्रियाँ गीत गाती हैं ! जिसमें उसका अभिप्रायः यह रहता है ! कि परिश्रम के कारण जो थकावट आई है ! उससे ध्यान हटाकर मनोरंजन में चित्त संलग्न किया जा सके।

11. किसी विशिष्ट वर्ग के नायक को लेकर जो काव्य रचना की जाती थी। किन स्वाभाविक गुणों के कारण साधारण जनता के हृदय पर उनके महत्व की प्रतिष्ठा बनती थी ?

उत्तर –  लेखक कहते है ! की पहले के समय में विशिष्ट वर्ग के नायक जैसे राजा, रानी, राजकुमार या राजकुमारी या ऐसे ही समाज के किसी विशिष्ट वर्ग के व्यक्तियों के लिए काव्य रचना की जो प्रणाली बहुत प्राचीन काल से चली आ रही थी ! और जिसका संस्कृत साहित्य में विशेष महत्व है ! वैसे विशिष्ट व्यक्तियों के लिए साधारण जनता के हृदय पर उनके महत्व की प्रतिष्ठा बनी हुई थी ! उनमें धीरोदात्त, दक्षता, तेजस्विता, रूढ़वंशता, वाग्मिता आदि गुण वाले व्यक्ति स्वभाविक माने जाते थे।

Ncert Class 9 Hindi Gram Geet Ka Marm question answer

12. ग्रामगीत की कौन सी प्रवृत्ति अब काव्य गीत में चलने लगी है ?

उत्तर – लेखक कहते है ! की बच्चे अभी भी वह राजा, रानी, राक्षस, भूत, जानवर आदि की कहानियाँ सुनने के लिए उत्साहित रहते हैं ! साधारण तथा प्रत्यक्ष जीवन में जो घटनाएँ होती रहती हैं, उनके अतिरिक्त जो जीवन से दूर तथा अप्रत्यक्ष है ! उसके बारे में कुछ जानने की लालसा तथा उत्कंठा अधिक बनी रहती है ! मानव जीवन का पारस्परिक संबंध सूत्र कुछ ऐसा विचित्र है ! कि जिस बात को हम एक काल और एक देश में बुरा समझते हैं उसी बात को दूसरे काल और दूसरे देश अच्छा मान लेते हैं ! यही बात ग्राम गीत की प्रकृति से काव्य गीत की है।

13. ग्राम गीत के मेरूदण्ड क्या हैं ?

उत्तर –  ग्राम गीत के मेरुदण्ड के रूप में लेखक कहते है ! की हमारी दरिद्रता के बीच में भी संपत्ति शालीनता का यह रूप हमारे भाव को उद्दीप्त करने के लिए ही उपस्थित रहता है ! ऐसे वर्णन कला गीत में चाहे विशेष महत्व प्राप्त न करें ! किन्तु ग्राम-गीत के वे मेरुदण्ड समझे जाते हैं।

इसे भी पढ़े ⇓

Leave a Comment