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Bihar Board Class 9th Hindi Chapter 1 कहानी का प्लॉट – Kahani Ka Plot Question Answer
Kahani Ka Plot Notes In Hindi
पाठ – 1 : कहानी का प्लॉट
लेखक – शिवपूजन सहाय
1. लेखक ने ऐसा क्यों कहा है। कि कहानी लिखने योग्य प्रतिभा भी मुझमें नहीं है। जबकि यह कहानी श्रेष्ठ कहानियों में से एक है?
उत्तर – लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है की कहानी लिखने योग्य प्रतिभा भी मुझमे नहीं है। क्योकि लेखक को अपनी तारीफ़ खुद से करने में विश्वास नहीं रखते थे। क्योंकि लेखक एक अच्छे तथा सभ्य कवी थे। तथा लेखक तो अपने आप को कलाविद् भी नहीं मानते थे। Bollyshare
2. लेखक ने भगजोगनी नाम ही क्यों रखा ?
उत्तर – लेखक ने भगजोगनी नाम इसलिए रखा था। क्योकि लेखक को ग्रामीण जीवन तथा देहाती लोगो के व्यवहार अच्छा लगता था। तथा वह ग्रामीण जीवन परिवेश से काफी खुश रहते थे। जिसके कारण लेखक को देहाती नाम बहुत ही रोचक लगता था। इसलिए लेखक ने भगजोगनी नाम रखा जो की एक देहाती नाम है।

3. मुंशीजी के बड़े भाई क्या थे ?
उत्तर – मुंशी जी के बड़े भाई एक पलिस दारोगा थे।
4. दारोगा जी की तरक्की रुकने की क्या वजह थी ?
उत्तर – मुंशी जी के बड़े भाई एक पुलिस दारोगा थे। जिनकी तरक्की अंग्रेजो ने रोक दिया था। क्योकि दरोगा जी के पास एक घोड़ी थी। जो की कम कीमत की थी। फिर भी अच्छी थी। और उस घोड़ी को अंगेजो के बड़े अधिकारी दरोगा जी से उनकी घोड़ी लेना चाहते थे। लेकिन दारोग जी अपने घोड़ी को बड़े अधिकारियो को नहीं देते है। जिसके कारण अधिकारी उनसे नाराज होकर उनसे बदला लेने के लिए दरोगा जी की तरक्की को रोक देते है। FilmyZilla
कहानी का प्लॉट कहानी के प्रश्न उत्तर इन हिंदी
5. मुंशीजी अपने बड़े भाई से कैसे उऋण हुए ?
उत्तर – मुंशी जी ने अपने घोड़ी को एक अंग्रेजी अफसर के हाथो अच्छी-खासी रकम में बेचकर दिया। तथा उससे जो रकम प्राप्त हुआ। वह उसे रकम को देकर मुंशीजी अपने बड़े भाई से उऋण हुए। Sangharsh 2
6. थानेदार की कमाई और फूस का तापना दोनों बराबर हैं, लेखक ने ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर – थानेदार की कमाई और फूस का तापना दोनों बराबर इसलिए है। क्योकि जब तक दारोगा जी अपने पद पर थे। तब तक उनकी कमाई से घर की स्थिति अच्छी थी। और परिवार के सभी सदस्यों को किसी भी बात की कोई चिंता नहीं था। लेकिन जैसे ही दरोगा जी मृत्यु हो जाती है। उसके कुछ समय बाद ही घर की स्थिति खराब हो गई। तथा परिवार के सदस्यों की सारी मौज मस्ती बंद हो गई। इसी के संदर्भ में लेखक ने यह बात कहा है। की थानेदार की कमाई और फूस का तापना दोनों बराबर है।
7. मेरी लेखनी में इतना जोर नहीं“ लेखक ऐसा क्यों कहता है ?
उत्तर – लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है। क्योकि भगजोगनी के सारे रूप लावन्य का वर्णन करने में लेखक के सारी उपमाओं के बाद भी अपने को असमर्थ पाते है। तभी उन्होंने कहा है कि मेरी लेखनी में इतना जोर नहीं है। कि मैं इसका सटीक वर्णन कर सकूँ।
8. भगजोगनी का सौंदर्य क्यों नहीं खिल सका ?
उत्तर – भगजोगनी का सौन्दर्य नहीं खिल सका क्योकि भगजोगनी एक अनाथ बच्ची है। जो की गरीबी की चक्की में इतनी पिस गई है। कि उसे दुसरो के बातों के अलावा दो जून का खाना भी नसीब नहीं होता था। फिर उसका सौंदर्य कैसे खिल सकता था।
Ncert Class 9th Hindi Chapter 1 Kahani Ka Plot Question Answer
9. मुंशी जी गले में फाँसी लगाकर क्यों करना मरना चाहते हैं ?
उत्तर – मुंशी जी अपने गले में फांसी लगाकर इसलिए मरना चाहते थे। क्योकि उनसे भगजोगनी की दशा नहीं देखा जाता है। जो की भगजोगनी की गरीबी की जिन्दगी पर तरस खाकर बदहाली की जिन्दगी जीने पर मज़बूरी देखकर गला – फांसी लगा कर मरना चाहते थे।
10. भगजोगनी का दूसरा वर्तमान नवयुवक पति उसका ही सौतेला बेटा है । यह घटना समाज की किस बुराई की ओर संकेत करती है” और क्यों ?
उत्तर – भगजोगनी की शादी वृद्ध से हुई थी ! लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उसके पति की मृत्यु हो जाती है ! जिसके बाद पति के मरने के बाद पति की सारी सम्पति भगजोगनी की हो गई। उसके बाद भगजोगनी की शादी उसी के सौतेले बेटे से हो गई जो की यह समाज की निति के विरुद्ध है। और यह सन्देश समाज के वातावरण को खराब करता है। इसलिए ऐसा करना किसी भी प्रकार से सही नहीं है। फिर भी समाज में यह विसंगतिया आज भी कही न कही पड़ सुनाई पड़ ही जाती है।
11. आशय स्पष्ट करें
क. जो जीभ एक दिन बटेरों का शोरबा सुड़कती थी ! अब वह सराह-सराहकर मटर का सत्तू सरपोटने लगी। चुपड़ी चपातियाँ चबानेवाले दाँत अब चंद चबाकर दिन गुजरने लगे।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी पाठ पुस्तक कहानी की प्लॉट शीर्षक से लिया गया है ! जिसके लेखक शिवपूजन सहाय जी है ! लेखक इस पंक्ति से माध्यम से अमीरी से गरीबी में आने पर होने वाली बदलावों का व्याख्या किया है। कहानी के अंत में लेखक को मुंशी जी ने जब रो-रोकर अपना दुखड़ा सुनाते हैं ! तब उसका बड़ा ही रोचक व्याख्या लेखक ने किया है। मुंशी जी लेखक से कहते हैं ! कि क्या कहूँ बीते दिनों की बाते जब याद करता हूँ ! तो गश आ जाता है। दारोगा जी के जीते-जी मौज का बखान मुंशजी जी करते हैं ! और दारोगा जी मृत्यु के बाद उनके जीवन में आई गरीबी का इजहार करते हैं।
उसका लेखक ने बड़े ही रोचक और सत्यता के साथ उजागर करता किया है ! लेखक कहते है की लोग अमीरी में कुछ भी नहीं सोचते। अनाप-शनाप, फिजूलखर्ची उनकी आदत बन जाती है। पड़ जब वही गरीबी उनके जीवन में आती है ! तो याद किस तरह सताती है ! इसका दिग्दर्शन लेखक ने ग्रामीण परिवेश में बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है।
ख. सचमुच अमीरी की कब्र पर पनपी हुई गरीबी बड़ी ही जहरीली होती है ।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी पाठ पुस्तक कहानी की प्लॉट शीर्षक से लिया गया है ! जिसके लेखक शिवपूजन सहाय जी है ! लेखक इस पंक्ति से माध्यम से समाज में होनेवाले उतार-चढाव का फिर बीते दिनों की याद को वर्तमान में पश्चाताप का इतना सुंदर व्याख्या किया है ! कि वह ही सत्य हो गया है ! मुंशी जी कहते हैं ! कि एक दिन वह था कि भाई साहब के पेशाब से चिराग जलता था ! और एक दिन यह भी है ! कि मेरी हड्डियों मुफसिसी की आँच से मोमबत्तियों की तरह घुल घुलकर जल रही है। बड़ा अफसोस होता है ! लेकिन सच ही कहा गया है ! कि अमीरी के कब्र पर पनपी हुई गरीबी बड़ी ही जहरीली होती है ! लेखक ने इतनी मार्मिकता से इसका वर्णन किया है ! जो अत्यंत ही संवेदना युक्त है।
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