Prem Ayani Shri Radhika । Bseb Class 10 Hindi प्रेम अयनि श्री राधिका

Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

prem ayani shri radhika question answer, कक्षा 10 हिन्दी पाठ -2 प्रेम अयानी श्री राधिका, Class 10th Hindi Prem Ayani Shri Radhika subjective Question Bihar Board, प्रेम अयनि श्री राधिका – रसखान, प्रेम-अयनि श्री राधिका काव्य का भावार्थ, राधिका कविता, Prem Ayani Shri Radhika Subjective Question Answer In Hindi Bihar Board, class 10th hindi chapter 2 question answer bihar board

Bihar Board Class 10th Hindi Prem Aayani Shri Radhika – प्रेम अयनी श्री राधिका Subjective

पाठ – 2 : प्रेम अयनि श्री राधिका , करील के कुंजन ऊपर वारौ
शीर्षक – Prem Ayani Shri Radhika Notes
लेखक – रसखान 
जन्म – 1601 में दिल्ली के पठान राजबंश मे

लेखक परिचय
  • कवी रसखान का जन्म – 16 वीं सदी में माना जाता है |
  • कवी रसखान के दो ग्रन्थ प्रमुख है – परम वाटिका , सुजान रसखान |
  • रसखान सवैया छंद में सिद्ध थे |
  • रसखान व्रज भाषा के प्रमुख कवी थे |
  • कवी रसखान के गुरु स्वामी विट्ठलनाथ नेपुष्टिमार्ग की दीक्षा दी थी |
  • रसखान कृष्ण भक्त थे |
1. प्रेम आयनि श्री राधिका पाठ का सारांश लिखे ?

उत्तर – कवि रसखान जी दोहे में राधिका को प्रेम का खजाना मानते हैं ! तथा कृष्ण को प्रेम का रूप माने है !यह दोनों प्रेम रूपी बगीचा के माली मालिन है !कवि ने जब से इन दोनों को देखा है ! उस समय से इन दोनों को अपनी आंखों में बसा लिया है ! पल भर के लिए भी धनुष के तीर की तरह आते जाते रहते हैं ! जिससे वह अपना ख्याल भी नहीं रखते हैं ! कृष्ण उनके मन को चुरा लेते हैं ! जिससे कवी प्रेम की जाल में फंस जाते है ! तथा भक्ति में मगन हो जाते हैं |

अर्थ – कवि रसखान अपनी अभिलाषा प्रकट करते हुए कहते है ! कि अगर सिर्फ कृष्णा की लाठी तथा कंबल मिल जाए तो तीनो लोक का सुख छोड़ दूंगा ! अगर नंद बाबा की गाय चराने का अवसर मिल जाए तो मै औषधियो तथा नौ निधियों कामसुख छोड़कर उनके शरण में आ जाऊंगा ! तभी भी कोई कष्ट नहीं होगा ! कवि कृष्णा की शरण में रहने के लिए लालायित रहते है |

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Facebook Group Join Now

2. कवी ने माली – मालिन किसे और क्यों कहा ?

उत्तर – कवी रसखान ने कृष्ण – राधा को माली – मालिन कहा क्योकि कवी के अनुसार जिस प्रकार पुष्प वाटिका में माली – मालिन का कार्य पुष्प की देखभाल करना है | ठीक उसी कार्य प्रेम वाटिका में कृष्ण – राधा करते है |

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 2 प्रेम आयानी श्री राधिका

3. कृष्ण को चोर क्यों कहाँ गया है’’ कवी का अभिप्राय स्पष्ट करे ?

उत्तर – कवी रसखान ने कृष्ण को चोर कहा है’’ क्योकि कवी के अनुसार नन्द नन्दन ने उनके चित को चुरा लिया है |  

4. द्वितीय दोहे का काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें ?

उत्तर – द्वितीय दोहे में मतदाता का पूर्ण विश्लेषण किया गया है !उनका कहना है ! कि कृष्ण लीला की सुंदरता सबकी अन्यास ही आकर्षित कर लेती है ! उनकी अनुपम सौंदर्य को देखने के लिए हमारी आंखे लग जाती है ! जिस प्रकार धनुष से छूटा हुआ बाड़ अपने लक्ष्य को भेदने में समर्थ हो जाती है ! ठीक उसी प्रकार कवि की दृष्टि कृष्णा की रसिक प्रेम को देखने में समर्थ हो जाती है |

5. सौंदर्य में कवि की कैसी आकांक्षा प्रकट होती है !भावार्थ बताते हुए स्पष्ट करे ? 

उत्तर – प्रस्तुत सौंदर्य में कवि श्री कृष्ण के नजदीक में रहने के लिए अपने आपको न्यौछ्वर कर देना चाहते है ! कवि श्री कृष्ण के प्रति एक अटूट बंधन बनाना चाहते है ! वे तीनों लोको की सुख सुविधा को छोड़कर भी कृष्ण के चरणो में रह कर अपना जीवन धन्य बनाना चाहते है |

Prem Ayani Shri Radhika Class 10th Hindi Bihar Board

6. व्याख्या करें

क. मन पावन चितचोर, पलक ओट नहिं करि सकौं।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी पाठ्य के काव्यखंड के शीर्षक प्रेम आयनी श्री राधिका से लिया गया है !कवी इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है !कि श्री कृष्ण की मदमदाती आंखे मेरे मन को मोह लिया है ! वह कहते है ! कि हे कृष्ण आप तो मेरे आंखो में इस प्रकार बस गए है ! कि मेरी पलक आपको पल भर के लिए भी नहीं भूल सकती है ! अब तो आप ही मेरे सब कुछ है |

ख. रसखानि कबौं इन आँखिन सौ ब्रज के बनबाम तझम निहारौं।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी पाठ्य के काव्यखंड में प्रेम आयानी श्री राधिका शीर्षक से लिया गया है ! जिसके लेखक रसखान जी है ! वे इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है ! कि कृष्ण मै तो आपको व्रज बन बाग़ और तालाब को एक एक करके निहारना चाहता हूँ ! मेरी आँखे इन सुनहरे तालाब और व्रज के कर्ण कर्ण के लिए तरस गयी है ! अपने करोड़ो की सुख महलो को छोड़कर मै आपके व्रज की नजारे को देखना चाहता हूँ ! और उसमे निवास करना चाहता हूँ |

Leave a Comment