Dinbandhu Nirala Notes । Bseb Class 10 Non Hindi दिनबंधु निराला

dilbandhu nirala notes, Bseb Class 10 Non Hindi दिनबंधु निराला, Bihar Board Class 10 Non Hindi Chapter 15 दिनबंधु निराला Subjective, bseb 10 Non Hindi  note दीनबन्धु ‘ निराला, Bihar 10 Non Hindi किसलय चैप्टर 15 दीनबंधु ‘निराला, Dinbandhu Nirala Class 10 Non Hindi

Bihar Board Class 10th Non-Hindi Chapter 15 dinbandhu nirala – दिनबंधु निराला

पाठ – 15
शीर्षक – दिनबंधु निराला
लेखक – आचार्य शिवपूजन सहाय

1. निराला को दीनबंधु क्यों कहा गया है ?

उत्तर – निराला जी हमेशा गरीबो और दुखियो की मदद करते है ! वे लगडे, लूले तथा अंधे लोगो को एवं अपाहिज लोगो को अन्न वस्त्र देकर लोगो को खुश करते है ! इन्ही कारण से निराला जी को दीनबंधु कहा गया है |

2. निराला सम्बन्धी बाते लोगो को अतिरंजित क्यों जान पड़ती है ?

उत्तर – निराला में जो बाते थी,, लोगो को यह अतिरंजित इसलिए जान पड़ती थी ! की ऐसे गुण का होना आसान नहीं था ! धनी लोग बहुत होने थे ! लेकिन निराला जिस भाव से गरीबो की मदद करते थे ! वे आम लोगो को अतिरंजित करने वाला ही है | Gadar 2

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Facebook Group Join Now

3. निम्नांकित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए :

क. जो य्हीम दिन ही लखै’’ दिनबंधु सम होय |

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी पाठ के दीनबंधु निराला शीर्षक से लिया गया है,, जिसका लेखक शिवपूजन सहाय जी है,, कवी इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है,, की जो व्यक्ति गरीबो को देखता है,, उसका मदद करता है,, वह व्यक्ति दीनबंधु भगवान की तरह हो जाता है | Jawan movie Download

ख. पुण्यशील के पास सब विभूतिय आप ही आप आ जाती है ?

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी पाठ के दीनबंधु निराला शीर्षक से लिया गया है,, जिसका लेखक शिवपूजन सहाय जी है,, कवी इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है,, की जो व्यक्ति पुण्यशील होते है,, उनमे अपने आप ही उधार प्रवृति आ जाती है,, उनके पास सब प्रकार की सुख संपदा स्वयं पहुँच जाती है |

ग. धन उनके पास अतिथि के सामान अल्पावधि तक ही टिकने आता था ?

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी पाठ के दीनबंधु निराला शीर्षक से लिया गया है,, जिसका लेखक शिवपूजन सहाय जी है,, कवी इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है,, की धन जो है,, वह एक अतिथि के सामान है,, क्योकि वह तो आते और जाते रहते है,, यह कभी अल्पावधि तक रहने की कोई चीज नहीं है,, आज मेरे पास है,, तो कल किसी और के पास होगा,, इसलिए कवी कहते है,, की धन जो है, एक अतिथि के समान है,, जो बहुत अधिक समय तक टिकने वाली चीज नहीं है। Jawan

S.N Class 10th Non Hindi Subjective Notes
पाठ – 2 ईदगाह
पाठ – 3 कर्मवीर
पाठ – 4 बलगोबिन भगत
पाठ – 5 हुंडरू का जल प्रताप
पाठ – 6 बिहारी के दोहे
पाठ – 7 ठेस
पाठ – 8 बच्चे की दुआ
पाठ – 9 अशोक का शस्त्र त्याग
पाठ – 10 इर्ष्या तू न गई मेरे मन से
पाठ – 11 कबीर के पद
पाठ – 12 विक्रमशिला
पाठ – 13 दीदी की डायरी
पाठ – 14 पीपल
पाठ – 15 दीनबंधु निराला

Leave a Comment